रानीखेत/ देहरादून: 27 अक्टूबर 2017 को भारत अपना 71वां इन्फेंट्री डे मना रहा। इन्फेंट्री दिवस सिख रेजिमेंट के साहसिक बलिदान को याद करने के लिए मनाया जाता है। आज के ही दिन 1947 में सिख रेजिमेंट ने ही कशमीर मुद्दे पर दुश्मनों के दांत खट्टे किए थे।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाइयां दी हैं। पीएम ने ट्वीट कर लिखा इन्फेंट्री दिवस पर सभी इन्फेंट्रीमैन को बधाइयां। हमें अपनी इन्फेंट्री के असाधारण साहस और देश को समर्पित उसकी सेवाओं पर गर्व है।
वहीं आज रानीखेत में 12 मद्रास यूनिट के कमान अधिकारी कर्नल राहुल त्यागी ने शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित कर मौन श्रद्धांजलि दी। और कहा कि हमें गर्व है कि हम इन्फैंट्री मैन हैं।
जानिए इन्फैंट्री रेजिमेंट का इतिहास और भूमिका
इन्फैंट्री रेजिमेंट (पैदल सैनिक) की स्थापना सन् 1846 में अंग्रेजों के द्वारा की गई थी। जिसे देश की हर लड़ाई के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। और देश की आजादी के बाद 1947 से पैदल सैनिकों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है।
बता दें कि 1947 में कश्मीर के राजा हरिसिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के कहने पर कश्मीर को भारत में विलय करने पर हस्ताक्षर कर दिए। जिसके कारण पाकिस्तान की कबालियों ने कशमीर पर हमला कर दिया था। लेकिन तब भारतीय सेना की पहली इन्फैंट्री रेजिमेंट, पहली सिख पैदल सैनिकों की टुकड़ी को श्रीनगर फील्ड में उतारा और पैदल सैनिकों ने ही इस दौरान पाकिस्तान की सेना से अकेले ही एक दिन तक युद्ध किया और उनको रोके रखा। तब जाकर दूसरे दिन 4 कुमाउं ने आकर पैदल सैनिकों के साथ कबालियों को कश्मीर से खदेड़ा और कश्मीर में अपनी जीत का परचम लहराया।
वहीँ घाटी में सेना के उतरने के विरोध में अलगाववादियों ने एक बैठक बुलाई और घाटी को पूर्ण तरीके से बंद का आवाहन किया था, उधर बिगड़ते हालातों को देखते हुए अधिकारियों ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए यहां के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध लगा दिया था। आपको अवगत करा दें कि जहाँ एक तरफ भारतीय आज के दिन को एक साहसिक दिवस के रूप में मनाता है वहीँ अलगाववादी आज के दिन यहाँ पर काला दिवस के रूप में मानते हैं। जिसके चलते जिलाधिकारी (उप आयुक्त) श्रीनगर, सैयद एबीड राशिद शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि रेनवारी, नोहट्टा, खन्यार, सफाकदल, एमआर गुंज, कृलखुद और मासुमा की पुलिस ने क्षेत्र में प्रतिबंध लगाया हुआ है। क्यूंकि अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक ने आज लोगों को यहाँ काला दिन का पालन करने के लिए कहा है।
कारगिल युद्ध के दौरान भी पैदल सैनिकों ने ही सबसे पहले टाइगर हिल पर अपना कब्जा जमाया था। बता दें कि पैदल सेना के बगैर कोई भी युद्ध हो जब तक उक्त जगह पर पैदल सेना कब्जा नहीं करेगी तब तक जीत नहीं मानी जाती है।
बस इसके बाद से ही पैदल सैनिकों ने अपनी भूमिका देश के उन तमाम युद्धों में निभाई है जो देश में हुए।