बड़कोट: नगर पालिका चुनाव को लेकर पिछले कुछ दिनों से देहरादून और हल्द्वानी जैसे बड़े निगमों को पीछे छोड़कर नगर निगम कोटद्वार और नगर पालिका परिषद बड़कोट ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोरी हैं। नगर पालिका बड़कोट में भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष जशोदा राणा को अधिकृत्त प्रत्याशी घोषित किया, लेकिन देहरादून नगर निगम में पहले से नाम दर्ज होने के चलते उनका नामांकन रद्द कर दिया गया। अब भाजपा ने कृष्णा राणा को अपना समर्थन दिया है। वहीं, कोटद्वार में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के प्रत्याशियों का नामंकन रद्द होने की कगार पर है।
दरअसल, नगर पालिका बड़कोट से वर्तमान में कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा रावत भी भाजपा में टिकट की दावेदार थीं। इसके अलावा अनीता चौहान और कृष्णा राणा के साथ ही कुछ और भी दावेदारी पेश कर रहे थे, लेकिन जशोदा राणा को पार्टी ने इन सब पर तरजीह दी, जिसका उन्होंने पहले दावा भी किया था। लेकिन, चुनाव आते-आते स्थितियां बदल गई और जशोदा राणा पार्टी से टिकट मिलने के बाद चुनाव नहीं लड़ पाई रही हैं, उनको अयोग्य घोषित कर दिया गया है।
जशोदा राणा के मैदान से बाहर होने के बाद अनुपमा की राह आसान नजर आ रही है। उनकी जीत का दावा पुख्ता भी नजर आता है। दरअसल, अनुपमा रावत को पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अतोल रावत का समर्थन भी प्राप्त है। इसके अलावा सामाजिक कार्यों में उनकी और उनके पति जयेंद्र रावत की भागीदारी काफी रहती है। जनसरोकारों के कामों में अक्सर लोगों के साथ खड़े नजर आते हैं। जिसका उनको लाभ मिलेगा।
एक और अहम बात यह है कि पहले भी नगर पंचायत का चुनाव लड़ी थी, तब उनको जशोदा राणा के सामने ही हार का सामना करना पड़ा था। इस बात का भी उनको लाभ मिल सकता है। चुनाव में हार के बावजूद अनुपमा रावत लगातार जनता के बीच काम करती रही। भाजपा में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहीं, जिसका उनको लाभ मिल सकता है। माना जा रहा है कि जशोदा राणा के चुनाव मैदान में नहीं होने से कई भाजपाई बैकडोर से अनुपमा रावत का साथ दे सकते हैं। हालांकि भाजपा का दावा है कि वो मजबूती से चुनाव लड़ेंगे।