नई दिल्ली: भारत के इतिहास में पहली बार सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर के खिलाफ हैदराबाद स्थित बिजनेसमैन सतीश बाबू सना की शिकायत पर साजिश रचने और भ्रष्टाचार की धाराओं में एफआईआर दर्ज की। सीबीआई में शीर्ष दो पद पर आसीन लोगों के बीच की लड़ाई सार्वजनिक हो गई और 22 अक्तूबर को सीबीआई ने खुद अपने ही डिप्टी डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया था।
लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को 29 अक्तूबर तक गिरफ्तारी से राहत दे दी। राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने हैदराबाद के बिजनेसमैन सतीश बाबू की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की। सतीश बाबू का आरोप है कि उन्होंने अपने खिलाफ जांच रोकने के लिए तीन करोड़ रुपयों की रिश्वत दी। एफआईआर में अस्थाना के खिलाफ साजिश और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है।
एफआईआर के मुताबिक सतीश बाबू ने दुबई में रहने वाले एक व्यक्ति मनोज प्रसाद की मदद से रिश्वत देने की बात कही है, जिसमें मनोज प्रसाद का दावा था कि वो सीबीआई में लोगों को जानते हैं और जांच को रुकवा सकते हैं। सतीश बाबू के खिलाफ जो जांच चल रही थी जिसकी अगुआई राकेश अस्थाना ही कर रहे थे। सीबीआई ने राकेश अस्थाना के अलावा मोइन कुरैशी मामले में जांच अधिकारी देवेंद्र कुमार को भी सोमवार को गिरफ्तार किया था। सीबीआई का कहना है कि डीएसपी देवेंद्र कुमार ने मोइन कुरैशी मामले में भ्रष्टाचार में राकेश अस्थाना का साथ दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राकेश अस्थाना ने डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ कैबिनेट सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखी जिसमें वर्मा पर सतीश बाबू से दो करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया गया है। वर्मा के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कोयला और 2जी घोटाले में शामिल दो लोगों को सेंट किट्स की नागरिकता लेने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया। अस्थाना ने वर्मा के खिलाफ हरियाणा में एक जमीन के सौदे में गड़बड़ी करने और भ्रष्टाचार के दूसरे कथित मामलों का भी जिक्र किया है।