शिक्षा: समस्याए आपार, समाधान पर नही कोई विचार…

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रुद्रप्रयाग: बीजेपी डिजिटल इंडिया का दावा क्या टिन शेड में होगा पूरा रुद्रप्रयाग जनपद में सरकारी विद्यालयों की स्थितियां प्रदेश में डबलइंजन सरकार बनने के बाद भी जस की तस ही बनी हुई है।

जनपद के अधिकांश विद्यालयों में कही अध्यापकों की कमी है तो कही विद्यालयों में प्रेक्टिकल लैब ही नहीं है, कोई टिन शेड में पड़ने को मजबूर है तो कोई जर्जर भवन में अपनी जान को जोखिम में दाल कर पढाई कर रहा है।

वहीं 2013 की आपदा में पूर्ण ध्वस्त हो चुके जीआईसी तिलकनगर में आज भी बच्चे  विद्घालय भवन के अभाव में हैं।

सर्वाधिक छात्र संख्या वाले तिलकनगर इण्टर कालेज में संसाधनों के अभाव में बच्चे प्राइवेट विद्यालयों का रुख कर रहे हैं। 2013 से पूर्व जीआईसी के पास सर्वाधिक छात्र संख्या तो थी ही साथ ही स्कूल कैम्पस भी काफी बड़ा था मगर पूरा विद्यालय आपदा की जद में आने के बाद अब यहां सिर्फ खंडर ही शेष रह गया है।

अब विद्यालय को शिफट किया गया है और कक्षाएं सीमित टिन सैडों पर संचालित हो रही हैं। विद्यालय में अभी भी करीब 300 बच्चे पडते हैं मगर व्यवस्थायों के अभाव में हर साल यहां छात्र संख्या घटती ही जा रही है।

आपदा के बाद होरो होन्डा फाउन्डेशन द्वारा यहां पर 11 टिन शेडों के स्कूल का निमार्ण करवाया गया था। और उन पर ही समस्त कक्षाएं संचालित हो रही हैं। कक्षा छोटे होने व टिन से बने होने के कारण यहां गर्मियों में अत्यधिक गर्म व सर्दियों में अत्यधिक ठण्ड होती है। विद्यालय द्वारा कई बार प्रशासन व शासन को पत्र भी भेजे गये हैं मगर अभी तक भी विद्यालय भवन नहीं बन पाया है।

जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बेहतर शैक्षणिक माहौल तैयार करने को लेकर भले ही 81 विद्यालयों को गोद ले रखा है, मगर विद्यालयों में इन्फ्रास्ट्क्चर नहीं होने से अभिभावकों का रुख सरकारी विद्यालयों के प्रति नहीं बन पा रहा है और यही कारण है हर वर्ष सरकारी विद्यालयों से छात्र संख्या लगातार घट रही है।

अगर समय रहते तिलकनगर में भी विद्यालय भवन नहीं बनता है तो यहां भी गिनती के ही छात्र रह जायेंगे, और मजबूरन अभिभावकों को बच्चों को पढ़ाने के लिए प्राइवेट स्कूलों में भेजना पडेगा।

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