-संवाददाता कृष्णपाल सिंह रावत
थत्यूड: नवरात्रि में अष्टमी के पावन पर्व पर जौनपुर विकासखंड के छन्नाणगांव में स्थित सिद्ध पीठ मां राजराजेश्वरी देवी के मंदिर में मां राजराजेश्वरी का आशीर्वाद लेने भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
मंदिर के पुजारी भगत सिंह रावत ने बताया कि, चैत्र नवरात्रि में अष्टमी का बहुत अधिक महत्व है। साधारणतः यह कुलदेवी का दिन माना जाता है। जिसमें मां राजराजेश्वरी के साथ-साथ देवी के सभी रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही कुलदेव नाग देवता, शिव, काली, महाकाली, भद्रकाली, हनुमान व पांडवों सहित सभी देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है लेकिन विशेष तौर पर अष्टमी के दिन मां राजराजेश्वरी का पूजन किया जाता है। जहां पर भक्त दूर-दूर से अपनी मुराद को मांगने व पूरी होने के पश्चात् माता रानी के दर्शन करने आए।
उन्होंने बताया कि, यहां पर विराजमान मां राजराजेश्वरी सिद्ध पीठ मां सुरकंडा देवी की बड़ी बहन है। और बहुत समय पहले जब दोनों सिद्ध पीठों के एक ही पुजारी हुआ करता था तो, वह पहले सिद्धपीठ मां राजराजेश्वरी की पूजा करते थे। तत्पश्चात अगले दिन मां सुरकंडा देवी की पूजा अर्चना करते थे लेकिन, समय के साथ-साथ लोग भी बदलते गए जिसके चलते आज दोनों सिद्ध पीठों में अलग-अलग पुजारियों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है और सिद्ध पीठ मां राजराजेश्वरी के मंदिर में अन्य जगहों से 1 दिन पहले अष्टमी नवरात्रि मनाए जाती हैं।\
इसके आलावा उन्होंने बताया कि, यहां पर मां राजराजेश्वरी कन्या के रूप में विराजमान है। जो कई वर्षों पूर्व यहां पर विराजमान हुई थी। तब से लेकर आज तक यहां पर हर साल नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां राजराजेश्वरी की पूजा अर्चना की जाती है। जिसके साथ-साथ सभी भक्त अपनी अपनी मन्नतो के अनुसार माता रानी को भेंट चढ़ाते हैं और देव पशुओं ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं, तत्पश्चात माता रानी का प्रसाद वितरित किया जाता है।