नई दिल्ली: मी टू अभियान के तहत 16 से अधिक महिलाओं के यौन शोषण के आरोपों से घिरे केंद्रीय मंत्री और विदेश राज्य मंत्री एम.जे अकबर ने आखिरीकार अपना स्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि अकबर स्तीफा देने पर अड़े थे, लेकिन सियासी नुकसान को देखते हुए उनसे स्तीफा मांग गया और उनको स्तीफा देना पड़ा।
देश में मी टू कैंपेन के जोर पकड़ते ही कई नामी-गिरामी चेहरे कठघरे में खड़े हो गए थे। उनमें विदेश राज्यमंत्री एम.जे अकबर का नाम भी शामिल है। उन पर ही सबसे ज्यादा आरोप लगे हैं। अब तक 16 से अधिक महिलाओं ने खासकर महिला पत्रकारों ने उनके साथ विभिन्न अखबारों और पत्रिकाओं में उनके संपादक रहते काम के दौरान यौन शोषण करने के आरोप लगाए हैं। महिला पत्रकारों की सहमति के खिलाफ कदम उठाने और होटल के कमरों में उनसे असहज करने वाले इंटरव्यू करने के आरोप लगे हैं।
कई महिलाओं ने आरोप लगाया है कि सीनियर जर्नलिस्ट रहे अकबर होटल के कमरे में उनका इंटरव्यू लेते थे और फिर उन्हें अपना बिस्तर और शराब ऑफर करते थे। विदेश दौरे से एमजे अकबर लौट आए हैं और उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि वो पूरी तरह से निर्दोष हैं। एम.जे अकबर ने अपने बयान में ये भी कहा कि जिन भी लोगों ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं वो उन सभी के खिलाफ लीगल एक्शन लेंगे। बिना सबूत के आरोप लगाना एक वायरल फीवर बन गया है।
एम.जे अकबर ने प्रीया रमानी पर मानमाहानि का मुकदमा भी दर्ज कराया है। अकबर ने अपने बचाव में कहा कि उन पर लगे सभी आरोप झूठे हैं और वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। उनके इस कदम के बाद देश और दुनिया के कई महिला पत्रकार संगठनों ने उन पर कार्रवाई की मांग की है। प्रीया रमानी ने कहा कि सरकार को उनका साथ देना चाहिए। महिला संगठनों ने भी यही मांग की है। सरकार पर अकबर से स्तीफा लेने का दबाव बनाया जा रहा था। विपक्षी दलों ने इसे भी बड़ा मुद्दा बनाया है।