नैनीताल: हाईकोर्ट ने सोलानी नदी रुड़की.हरिद्वार में पुल निर्माण के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 नवंबर की तिथि नियत की। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
न्यायमूर्ति वीके बिष्ट एवं न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार पूर्व ग्राम प्रधान आँखेड़ी रुड़की हरिद्वार निवासी कुसुम देवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने आंखेड़ी व मथाना ग्राम सभा को जोड़ने के लिए वर्ष 2006 में पुल बनाने की स्वीकृत दी गयी। जिसको बनाने की लागत 7 करोड़ रूपये आंकी गयी लेकिन पुल नहीं बना।
याचिका में कहा कि वर्ष 2013 में डीपीआर फिर बनी और बनाने की लागत बढ़ाकर 12.74 करोड़ हो गयी और पुल का नक्शा पीलर बनाने के लिए 50 लाख रूपये का टेंडर हुआ। उसके बाद भी पुल का निर्माण नही हुआ। वर्ष 2018 में फिर पुल बनाने के लिए डीपीआर तैयार किया गया पुल बनाने की लागत बढ़ कर 24 करोड़ हो गयी। लेकिन अभी तक पुल का निर्माण कार्य प्रारम्भ नही हुआ। याचिका में कहा कि पुल के न बनने से क्षेत्रवासियों को 25 किलोमीटर चक्कर काटकर जाना पड़ रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से पुल का निर्माण शीघ्र कराने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि इस पुल को दो विधान सभाओं की सीमा के पास बनना है, लेकिन विवाद यह भी है कि इससे कौन सी विधान सभा बनाए और किसके क्षेत्र में है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।
दरअसल, पुल निर्माण को लेकर यह तय नहीं हो पा रहा था कि पुल तो बनाया जाएगा, लेकिन किसी विधानसभा क्षेत्र अलग-अलग होने के कारण राजनीति का मुद्दा बन गया। नराजनीति ने दोनों विधानसभा के लोगों का नुकसान करा दिया। पुल ना होने के कारण दोनों ही विधानसभा के लोगों को करीब 25 किलोमीटर का चक्कर काटकर आना-जाना पड़ता है, लेकिन वोट की राजनीति के चलेत पुल का निर्माण अधर में लटका हुआ है।