नैनीताल: हाईकोर्ट ने पूर्व में पारित आदेशों का पालन ना किए जाने के मामले में सेकेट्री मेडिकल एजूकेशन देहरादून नितीश कुमार झा, निदेशक मेडिकल एजूकेशन आशुतोष सयाना व प्रिंसीपल वीर चंद्र सिंह गढवाली गर्वमेंट मेडिकल साइंस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट श्रीनगर जिला पौडी गढवाल चंद्र मोहन सिंह रावत को अवमाना का दोषी पाते हुए तीनों को 11 अक्टूबर को हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार पौडी गढवाल निवासी संभू प्रसाद भट्ट सहित अन्य ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि 12 मई 2017 को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने आदेश पारित कर आठ सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं को विनियमितिकरण करने के साथ ही समान कार्य के लिए समान वेतन देने के निर्देश दिए थे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पूर्व में याचिका दायर कर कहा था कि वे वीरचंद्र मेडिकल गढवाली साइंस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट श्रीनगर में वार्ड अटेंडेंट के रूप में 2010 व 11 से कार्यरत थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा था कि उनको सामान अन्य कर्मचारियों का विनियमितिकरण के साथ ही उन्हें सामान कार्य के लिए सामान वेतन भी दे दिया गया है। लेकिन याचिकाकर्ताओं का ना तो विनियमितिकरण किया गया और न ही उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन ही किया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वे नियमित कर्मचारियों के भांति ही कार्य कर रहे हैँ लेकिन उनको समान कार्य का समान वेतन नहीं दिया जा रहा है। पूर्व में एकलपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को आठ सप्ताह के भीतर विनियमितिकरण के साथ ही समान कार्य के लिए समान वेतन देने के निर्देश दिए थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से आदेशों का पालन नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट के समक्ष अवमानना याचिका दायर की गई। पूर्व तिथि में कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब देने के निर्देश दिए थे। लेकिन कोर्ट में जवाब न दाखिल करने पर कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए सेकेट्री मेडिकल एजूकेशन देहरादून नितीश कुमार झा, निदेशक मेडिकल एजूकेशन आशुतोष व प्रिंसीपल वीर चंद्र सिंह गढवाली गर्वमेंट मेडिकल साइंस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट श्रीनगर जिला पौडी गढवाल चंद्र मोहन सिंह रावत को अवमाना का दोषी पाते हुए तीनों को 11 अक्टूबर को हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए।