एटीएम कार्ड की स्कीमिंग कर दूनवासियों के खाते से रुपये निकाले जाने के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अब पीड़ित खाताधारकों की संख्या बढ़कर 86 हो गई। चार दिन से सुर्खियों में चल रहे इस प्रकरण की तह तक जाने के लिए दून पुलिस और एसटीएफ ने पूरी ताकत झोंक रखी है। हालांकि, दिन-रात एक किए पुलिस अधिकारियों के हाथ अब तक चंद सुराग ही लगे हैं।
मंगलवार को पांच मामले साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन (सीसीपीएस) और एक मामला पटेलनगर कोतवाली में दर्ज किया गया। इसमें जोगीवाला के एक खाते से डेढ़ लाख रुपये की निकासी आठ जुलाई को ही हो गई थी, लेकिन खाताधारक को इसकी जानकारी सोमवार को हुई। वहीं, लगातार बढ़ रहे मामलों से बैंकों के साथ ही पुलिस विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है। मंगलवार को बैंकों और पुलिस कार्यालयों में दिनभर बैठकों का दौर चलता रहा। अधिकारी जयपुर और दिल्ली गई टीमों से भी अब तक की जांच का फीडबैक लेते रहे।
एटीएम कार्ड की स्कीमिंग कर तमाम दूनवासियों के खातों से हुई निकासी के मामले में आरबीआई भी हरकत में आ गया है। ठगी के बढते मामले को देखते हुए ठगी के परिप्रेक्ष्य में मंगलवार को आर0बी0आई0 द्वारा समस्त बैंकों की सुरक्षा सम्बन्धी बैठक आहूत की।
राजपुर रोड स्थित आरबीआइ कार्यालय में बैंक के महाप्रबंधक सुब्रत दास ने सभी बैंकों अधिकारियों को निर्देश दिए कि छह जुलाई को आरबीआइ की ओर से अवैध ई-ट्रांजेक्शन को लेकर जारी किए गए सर्कुलर के मुताबिक बैंक पीडि़तों को उनकी रकम लौटाने के लिए कार्रवाई करें। आरबीआई के महाप्रबंधक ने कहा कि साइबर ठगी के शिकार लोगों का पैसा लौटाना बैंकों की जिम्मेदारी है और बैंक पीड़ितों को एफआइआर दर्ज कराने के लिए बैंक बाध्य नहीं कर सकते। ऐसे मामलों में बैंकों को पीडि़तों की शिकायत अविलंब दर्ज करनी होगी। इसके अलावा पुलिस जांच में किसी भी तरह की सूचना उपलब्ध कराना बैंकों की जिम्मेदारी है।
बैंक को दिए ये निर्देश
-प्रत्येक एटीएम में एंटी स्कीमिंग डिवाइस लगाएं।
-पुराने एटीएम की जगह नई मशीनें लगाई जाएं।
-ग्राहकों को सिक्योरिटी चिप लगे एटीएम उपलब्ध कराए जाएं।
-एटीएम में हाई क्वालिटी कैमरे लगाएं, नियमित रूप से हो रिकार्डिंग की जांच।
-हर एटीएम में सुरक्षा गार्ड की तैनाती हो, नियमित सुरक्षा जांच कराई जाए।
-ग्राहकों को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार करें।