प्रदेश में किसानों की एक के बाद एक आत्महत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक के बाद एक किसान अपनी आर्थिकी के कारण मौत को गले लगाने को बेवस हैं। प्रदेश भर में अब किसानों की आत्महत्याओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जो काफी सोचनीय विषय है। उत्तराखंड में बीते दिनों पिथौरागढ़ के एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी लेकिन अब एक और किसान ने आत्महत्या कर ली है। जिससे कि आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या अब 5 हो चुकी है।
दरअसल कल जिला टिहरी के चंबा ब्लॉक के स्वाड़ी गांव के एक किसान ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली है।
जब हैल्लो उत्तराखंड ने इस मामले में अधिक जानकारी जाननी चाही तो मृतक राजकुमार के ताउ सत्तू कुमार ने हैल्लो उत्तराखंड से बात करते हुए कहा कि राजकुमार ने उत्तराखंड ग्रामीण बैंक से 40 हजार व सहकारी बैंक की मिनी बैंक समिति से 25 हजार का लोन लिया था। उन्होंने बताया कि मिनी बैंक समिति के कर्मचारी 2-3 बार पैसा वापस करवाने के लिए घर पर भी आ धमके और राजकुमार को धमकाया भी था। जब राजकुमार ने बैंक से कोई भी नोटिस न मिलने की बात की तो बैंक कर्मचारियों ने कहा कि बैंक के कर्मचारी तो आ गए ना। साथ ही उन्होंने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण अंतिम संस्कार करने तक का पैंसा भी नहीं था। गांव के लोगों ने ही चंदा जमा कर मृतक को मुखाग्नि दी गई।
वहीं मृतका की पत्नी रोशनी देवी का कहना है कि बार-बार सहकारी बैंक के कर्मचारियों द्वारा घर पर आने व धमकाने की घटना से वे कई दिनों से परेशान चल रहे थे। जिस कारण उन्होंने यह कदम उठाया होगा।
इस मामले की जानकारी मिलते ही कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने खबर का संज्ञान लिया और 4 सदस्यों की टीम बनाकर मृतक के घर पूरी जानकारी प्राप्त करने को कहा। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता शांती प्रसाद भट्ट ने मृतक के घर जाकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और पूरा मामला जाना। उन्होंने मृतक के परिजनों व उनकी आर्थिक स्थिति को देखकर आर्थिक सहायता भी की। हम आपको बता दें कि राजकुमार का परिवार अनुसूचित जनजाति श्रेणी में आता है और केवल राजकुमार ही परिवार मे एकमात्र कमाने वाले थे। राजकुमार के चार लड़कियां और तीन लड़के हैं।
हालांकि इस मामले पर हैल्लो उत्तराखंड से बात करते हुए टिहरी एसएसपी विमला गुंज्याल ने बताया कि मृतक राजकुमार का पंचनामा भरकर शव पोर्स्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। उन्होंने मृतका की पत्नी द्वारा दिये गये बयान पर बताया कि अभी मामले पर छानबीन करने पर ही कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल उन्होंने कहा कि मामले की छानबीन की जा रही है। जब हैल्लो उत्तराखंड ने इस मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश की तोपहले तो सहकारी बैंक शाखा चंबा के प्रबंधक विनय प्रकाश स्वरोज ने कहा कि साबली साधन सहकारी समिति (मिनी बैंक) के सदस्य ही किसान के घर रिकवरी के लिए गए थे। लेकिन जब हमने इस समिति सचिव संजय रमोला से इस बाबत जानकारी ली तो उन्होंने उल्टा सहकारी बैंक के चंबा ब्रांच के विनय प्रकाश स्वरोज को हत्कंडे में लेते हुए कहा कि वो स्वंय ही रिकवरी के लिए ए.डी.ओ रजनी सरयाल और अमीन शक्ति भट्ट के साथ किसान के घर आए और रिकवरी की बात की। जानकारी देते हुए रमोला ने बताया कि सरकारी बैंक के जी.एम रमेश कुमार के निर्देशानुसार ही किसान के घर रिकवरी के लिए भेजा गया था।
वहीं इस बाबत करीब 2 घंटे तक हमने टिहरी एसएसपी विमला गुंज्याल से इस मामले पर और अधिक जानकारी जाननी चाही तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।
उधर टिहरी डीएम श्री मति सोनिका ने कहा कि इस मामले को लेकर हमने एस.डी.एम को रिर्पोट सौंपने को कहा है। वहीं उनसे जब सहकारी बैंक द्वारा रिकवरी करने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यदि इस तरह की बात सामने आती है तो इस मामले पर भी जांच की जायेंगे।
जिस प्रकार बैंक के तमाम अधिकारी व समिति के सदस्य एक दूसरे के मत्थे बात को ड़ालने की कोशिश में लगे हुए हैं वहीं अब देखना यह होगा कि आखिर टिहरी पुलिस इस मामले को कितने गंभीरता से लेती है और कितनी जल्द एक बेबश किसान की आत्महत्या करने के कारणों को कितनी जल्द उजागर करती है?
सवाल यह भी है कि क्या दोषियों को इस बाबत सजा मिल पाती है या नहीं, कि कहीं इस मामले को केवल हल्के में ही लिया जाएगा। व आखिर कब हमारी सरकार इन बेबस किसानों के लिए कोई ठोस नीति अपनाएगी।