मुंबई: रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 70 के निचले स्तर पर आ गया। इससे पहले सोमवार को इसने 69.93 का आंकड़ा छू लिया था और आज यह डॉलर के मुकाबले 69.84 पर खुलने के बाद 70.085 के सबसे निचला स्तर पर आ गया। 1947 से लेकर के अभी तक यह रुपये की सबसे बड़ी गिरावट है। रूपये में आई गिरावट से शेयर बाजार हलकान है। इससे पूर्व अगस्त 2013 में रुपया एक दिन में 148 पैसे की गिरावट के साथ बंद हुआ था। रुपये ने बीते साल डॉलर की तुलना में 5.96 फीसदी की मजबूती दर्ज की थी, जो अब 2018 की शुरुआत से लगातार कमजोर हो रहा है। इस साल अभी तक रुपया 10 फीसदी टूट चुका है। वहीं इस महीने डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक 164 पैसे टूट चुका है। रुपये की वैश्विक बाजार में ये गिरावट दरअसल अमेरिका और तुर्की के बीच चल रही ट्रेड वॉर का असर माना जा रहा है. हाल ही में अमेरिका ने तुर्की से अपने बिगड़ते रिश्तों के बीच नई कर नीति का ऐलान किया है। अमेरिका की नई नीति के मुताबिक तुर्की के लिए स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर लगने वाले करों को दोगुना कर दिया गया है।
रुपये की कीमत अगर कमज़ोर होती है तो देश का व्यापार घाटा और करेंट अकाउंट घाटा बढ़ेगा। विदेशी मुद्राओं के जरिए विदेशों से किया जाने वाला लेन-देन यानी करेंसी इनफ्लो-आउटफ्लो का अंतर भी बढ़ेगा। भारत लगभग 70 फीसदी तेल का आयात विदेशों से करता हैं और ऐसे में रुपये के मुकाबले बेहद मंहगे डॉलर में भुगतान करना भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा। इसका दूसरा असर विदेशों में रहने वाले भारतीय छात्रों को होगा, जो छात्र भारत से बाहर रह रहे हैं। उन्हें करेंसी एक्सचेंज करनी पड़ती है और गिरती रुपये की कीमत उनके लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है।