बोखलाए हुए चीन ने भारत को फिर दी धमकी…जाने पूरा मामला

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भारत और चीन सेना को डोकलाम क्षेत्र में तैनात हुए एक महीने से ऊपर हो गया है, लेकिन दोनों देशो में से किसी भी देश के सैनिक अपने पैर पीछे खीचने को तैयार नही है।

सीमा पर सेना तैनाती के दिन जितने बढ़ रहे है उतना ही दोनों देशो के बीच तनाव बढ़ रहा है इस तनाव पूर्ण स्थिति में भारत और चीन के बीच युद्ध की आशंकाए भी जताई जा रही है, दिनों-दिन डोकलाम सीमा विवाद संजीदा होता जा रहा है। भारत और चीन के बीच जो विवाद 16 जून को शुरू हुआ था, आज उसका 39वां दिन है, स्थिति जस की तस बनी हुई है। चीन लगतार भारत को धमकी दे रहा है, ऐसे-ऐसे बयान दे रहा है जिससे साफ झलकता है कि वो भारत को उकसा रहा है।

इसी बीच भारत ने एतिहातन, चीन से लगी ऊँची संकरी घाटियों में टैंक तैनात कर दिया है, 15 हजार फिट की ऊंचाई पर इंडियन टैंक रेजिमेंट मुस्तेद है, ऊँचे पहाड़ो से होते हुए विशाल समतल घाटियों में इन टैंकों को तैनात करना आसन नही है, वहा ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम है और तापमान भी शून्य से निचे पहुँच जाता है लेकिन युद्ध के आभास के बाद ये कदम देश की सुरक्षा के लिए जरुरी है। रूस के बने T-72 टैंक तैनात किये गये है जिस से रात के वक़्त भी जंग लड़ी जा सकती है।

इन संकरी घाटियों में 1962 की जंग में भी T-72 टैंक तैनात किये गये थे लेकिन हार के बाद वंहा से ये टैंकर हटा लिए गए थे, अब एक बार फिर चीन और भारत के बीच बढती तनातनी के बाद फिर ये टैंक सुरक्षा तैनात की गयी है।  बीतो दो सालों में सीमी में करीब दो टैंक यूनिटो कि तैनाती हो चुकी है और तीसरे टैंक के तैनाती की तैयारी जारी है।

इन सबसे बौखलाए चीन ने भारत को युद्ध की एक बार फिर धमकी दे डाली है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वी कियान ने भारत चीन के बीच डोकलाम में चल रहे विवाद को लेकर मीडिया को दिए आधिकारिक बयान में कहा कि भारत किसी भ्रम में ना रहे और अपनी सेना को जल्द पीछे हटा ले, इस समस्या के समाधान के लिए चीन की यही पहली शर्त है, और हालात को देखते हुए चीन सीमा में सेना की तैनाती बढा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि “पहाड़ को हिलाया जा सकता है, लेकिन चीनी सेना को नहीं हिलाया जा सकता।”

भारत मामले का समाधान कूटनीतिक स्तर पर चाहता है, लेकिन चीन ने बातचीत के लिए भारत पर सेना वापस बुलाने की शर्त रख दी है।

सूत्रों की माने तो चीन ने सीमावर्ती इलाकों में सड़कों का जाल बिछा दिया है, ताकि युद्ध होने की स्थिति में उनकी सेना आसानी से भारत की सीमा तक पहुंच सके वहीं भारत सरकार सड़कों के साथ सुरंगों के जरिए अपनी सेना बॉर्डर तक पहुंचाने की योजना पर काम कर रहा है। इस योजना पर गृह और रक्षा दोनों मंत्रालय एक साथ काम कर रहे है।

चीन की सीमाओं से जितने भी देशों की सीमाएं लगती हैं उन सबने इस बात की कभी ना कभी शिकायत की है कि चीन दादागीरी और चालाकी दिखाकर उनके इलाके को हड़प लेता है, डोकलाम पर भी चीन यही करना चाहता था, लेकिन भारत ने ऐसा होने नहीं दिया। इसीलिए चीन जानबूझकर भारत के खिलाफ माहौल बना रहा है, क्योंकि उसे पता है कि इस वक्त अंतरराष्ट्रीय स्तर में भारत की साख उसके मुकाबले बेहद मजबूत है।

क्या है पूरा विवाद?

दरअसल डोकलाम जिसे भूटान में डोलम कहते हैं, करीब 300 वर्ग किलोमीटर का ये इलाका चीन की चुंबी वैली से सटा हुआ है और सिक्किम के नाथुला दर्रे के करीब है। इसलिए इस इलाके को ट्राई जंक्शन के नाम से भी जाना जाता है। ये डैगर यानी एक खंजर की तरह का भौगोलिक इलाका है, जो भारत के चिकन नेक यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर की तरफ जाता है। चीन की चुंबी वैली का यहां आखिरी शहर है याटूंग। चीन इसी याटूंग शहर से लेकर विवादित डोलम इलाके तक सड़क बनाना चाहता है।

इसी सड़क का पहले भूटान ने विरोध जताया और फिर भारतीय सेना ने। भारतीय सैनिकों की इस इलाके में मौजूदगी से चीन हड़बड़ा गया है। चीन को ये बर्दाश्त नहीं हो रहा कि जब विवाद चीन और भूटान के बीच है तो उसमें भारत सीधे तौर से दखलअंदाजी क्यों कर रहा है। आपको बता दे की भूटान के भारत के साथ खास रिश्ते हैं। 1949 में हस्ताक्षर की गई संधि और फिर 2007 दोहराई गई संधि के मुताबिक, भूटान के भू-भाग के मामलों को देखना भी भारत की जिम्मेदारी है। इसी जिम्मेदारी के चलते भारतीय सेना सीमा पर डटी हुई है जो चीन को हजम नही हो रही है इसलिए गतिरोध बढता ही जा रहा है।

1962 में भी भारत-चीन युद्ध भड़का था जिसके कारण दशकों तक भारत और चीन एक दुसरे के विरोधी बने रहे। अगर अब फिर से उससे भी वृहद स्तर का युद्ध होता है तो दोनों देशों के बीच सदियों तक शत्रुता बनी रहेगी।

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