रुद्रप्रयाग :पीएम नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना रुद्रप्रयाग जिले में रफतार नहीं पकड पा रही है। जिले में रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड राजमार्ग के साथ ही बद्रीनाथ राजमार्ग का भी करीब 31 किमी हिस्सा आता है। मगर अभी तक दोनों मार्गों पर पूरी तरह से मुआवजे का वितरण नहीं हो पाया है तो कई स्थानों का अभी तक थ्रीडी भू अधिग्रहण नहीं हो पाया है वहीं डम्पिंग जोनों के अभाव में पहाडी कटिंग का कार्य भी अभी अधर में लटका हुआ है। रुद्रप्रयाग जनपद में बद्रीनाथ हाईवे का चैडीकरण कार्य सिरोबगड से नगरासू कमेडा कस्बे तक होना है। जिसके लिए प्रशासन को करीब साडे 21 करोड रुपये के विभिन्न मुआवजों का वितरण करना है। जिसके सापेक्ष अभी तक सवा पांच करोड रुपये के मुआवजे ही बांटे गये हैं वहीं मार्ग पर कई ऐसे स्थान भी हैं जिनका कि अभी तक भी थ्रीडी भू अधिग्रहण नहीं हो पाया है।
वहीं रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड राजमार्ग पर प्रशासन को करीब 75 करोड रुपये के विभिन्न मुआवजों का वितरण करना है और अभी तक 38 करोड रुपये के मुआवजे ही बंट पाये हैं। भले ही प्रशासन दावा कर रहा है कि भू अधिग्रहण को लेकर ज्यादा दिक्कतें नहीं हैं मगर जब तक पूरी प्रक्रिया सम्पन्न नहीं हो जाती है तब तक सडक निर्माण कार्य प्रशासन के लिए दिक्कतों भरा रहेगा। उधर प्रशासन के सामने सबसे बडी चुनौती डम्पिग जोन को लेकर बनी हुई है। हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार नदी से 500 मीटर की दूरी पर ही डम्पिंग जोन बन पाएंगे साथ ही चयनित जोनों में पेड काटने की परमीशन देय नहीं होगी के आदेशों के बाद से पहाडी कटिंग का कार्य पूरी तरह से बन्द हो गया है जिसके चलते परियोजना का कार्य रफतार नहीं पकड पा रहा है।
चारधाम परियोजना में जहां मौसम व 6 माह की यात्रा निर्माण कार्यों में कहीं ना कहीं रुकावट ला रही है वहीं हाईकोर्ट व एनजीटी के आदेशों ने भी परियोजना की गति को धीमा कर दिया है, तो भू-अधिग्रहण समेत पेडों के कटान का मसला भी परियोजना को लम्बित किये हुए है। ऐसे में किस तरह से परियोजना अपने निर्धारित समय में पूरी होगी यह राष्ट्ीय राजमार्ग प्राधिकरण व केन्द्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार के लिए भी एक बडी चुनौती है।