राजधानी देहरादून का मैक्स अस्पताल हमेशा से विवादों के घेरों में रहा है। हाल ही में प्राशसनिक अधिकारी ने भी अस्पताल पर कई गंभीर आरोप लगाए थे और अब इन विवादों से परे अस्पताल नई मुहीम लेके आया है। जो प्रदेश में पहली बार उच्च तकनीकि का स्तेमाल कर प्रदेश के डीप ब्रेन स्टिमुलेशन के मरीजों का इलाज करेगा।
आज ए.आई.आई.एम.एस के प्रोफेसर ने बताया कि इन्टरैक्टेबल एपीलेप्सी, मुवमेंट डिसऑर्डर यानि कि पार्किन्सन्स रोग व ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर से जूझ रहे पीड़ितों के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन काफी कारगर सिद्ध होगा। इस दौरान उन्होंने बताया कि यह एक हार्ट पेशमेकर की ही तरह होगा जो व्यक्ति के दिमाग में फिट की जाएगी जो व्यक्ति द्वारा की जा रही असमान्य गतिविधियों और भावनात्मक विकारों को ठीक करेगा।
इलाज के लिए मिलेगी विशेष छूट
डॉ आनंद ठाकुर ने हैलो उत्तराखंड से बात करते हुए कहा कि मिर्गी के मरीजों के लिए व मुवमेंट डिसऑर्डर मरीजों के लिए यह प्रकिया अपनाने में यदि मरीज तीन से पांच साल तक के लिए पेशमेकर लगवायेगा तो इसकी लागत करीब 5.50 लाख आयेगी और यदि मरीज पेशमेकर को 10 से 12 साल के लिए लगवायेगा तो इसकी लागत 9.50 लाख तक की आयेगी। साथ ही उन्होंने बताया कि 10 से 12 साल तक लगने वाले पेशमेकर को हम रिचार्ज भी कर सकते हैं जिससे यह कॉस्ट बार-बार नहीं पड़ेगी। वहीं उन्होंने बताया कि इस इलाज में प्रदेश सरकार भी अपना सहयोग दे रही है जो इस बीमारी से जूझ रहे लोगों का 3.50 लाख तक का खर्चा वहन करेगी। जिससे इस प्रकार की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को इलाज कराना संभव हो पाएगा।
क्या है डीप ब्रेन स्टिमुलेशन?
पार्किंसन रोग सेंट्रल नर्वस सिस्टम का एक रोग हैए जिसमें रोगी के शरीर के अंगों में बेकाबू रूप से कंपन होता है। इसमें हाथों में कंपन विशेष रूप से शामिल होता है। ऐसा मस्तिष्कह का शरीर की गतिविधियों का सही प्रबंधन न करने के कारण होता है। लेकिन एक नए शोध से पता चला है कि पार्किंसन रोग से पीड़ित लोगों के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन ;डीबीएसद्ध प्रक्रिया फायदेमंद हो सकती है। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन ;डीबीएसद्धए एक न्यूरो सर्जिकल प्रक्रिया हैए जो पार्किंसंस रोगियों को जीवन को बेहतर तरीके से समझने में मदद करती है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत डॉक्टसर मस्तिष्क के अंदर एक चिकित्सा उपकरण न्यूरोस्टिमुलेटर ;ब्रेन पेसमेकरद्ध को स्थापित करते हैंए जो गतिविधियों और भावात्मकक विकारों को ठीक करने के लिए प्रत्यारोपित इलेक्ट्रोड के माध्यम से मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्सों ;मस्तिष्क केंद्रद्ध में विद्युत आवेग पहुंचाते हैं। इस प्रक्रिया के इस्तेमाल से उन लोगों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर करते हैए जो इस रोग के कारण सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे हैं।श् उन्होंने कहा कि आमतौर पर सर्जरी के दौरान डॉक्टर खोपड़ी में छेद करके और फिर उसके माध्याम से पेसमेकर स्थापित करते हैं।
भले ही उत्तराखंड में मैक्स अस्पताल इस प्रकार की नई तकनीक का स्तेमाल कर मिर्गी व मुवमेंट डिसऑर्डर के मरीजों का इलाज करेगा लेकिन अब देखना यह होगा कि इस प्रक्रिया में अस्पताल को कितनी सफलता हाथ लगती है।