रूद्रप्रयाग: भले ही केदारनाथ यात्रा ने इस बार सारे रिकार्डों को ध्वस्त किया हो, लेकिन केदारघाटी अभी भी 2013 की आपदा के दंश को झेल रही है। यहां मॉनसून शुरू होते ही नदियों में बनाये गये अस्थाई पुलों को हटा दिया जाता है जो आमजनों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है।
मॉनसून शुरू होते ही यहां लोगों को ट्राली के सहारे एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है। कई बार ट्राली की तारें कट जाने से तो कई बार उफनती नदी के बीच में ट्राली खराब हो जाने से घण्टों तक जिन्दगियां हवा में झूलती रहती हैं। साल 2013 से लेकर आज तक इन ट्रालियों से कई बड़े हादसे हो चुके हैं, जिसमें कई मासूमों की जानें जा चुकी है। बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि वो इस बारे में कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आजतक उन्हें प्रशासन द्वारा सिर्फ आश्वाशन ही मिला है। वहीं इन पांच सालों में जिले के अधिकारी भी नेताओं की रटी रटाई बातों को ही दोहरा रहे हैं। उनका भी यही कहना है कि जल्द ही पुल बनकर तैयार हो जायेगा। इस बार भी लोक निमार्ण विभाग ने दावा किया है कि 15 अगस्त तक पुल को आवाजाही के लिए तैयार कर दिया जायेगा। वहीं प्रशासन के झूठे दावों से लोगों में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। बहरहाल अब देखना ये होगा कि क्या वाकई प्रशासन द्वारा तय सीमा तक पुल का निर्माण करा दिया जाता है, या फिर इस बार भी लोगों की जिंदगियां यूं ही तारों पर झूलती रहेंगी।