मसूरी: उत्तराखंड की संस्कृति व त्यौहारों के यूं तो कई रंग हैं, ऐसा ही एक अनोखा त्यौहार मसूरी से करीब 27 किलोमीटर दूर यमुना नदी में टिहरी के जौनपुर क्षेत्र का ऐतिहासिक मेला राजमौण है। जो गुरुवार को धूम-धाम से मनाया गया। इस मेले की विशेषता ये है कि, इस दौरान मछलीयां पकड़ी जाती हैं, जहाँ साल में एक बार हजारों की संख्या में ग्रामीण नदी में मछली पकङने के लिए टूट पडते हैं।
जौनपुर क्षेत्र के मौण मेला की शुरुआत टिहरी रियासत काल से माना जाती है। तब से लेकर आज तक मौण मेला आयोजित किया जा रहा है। मौण मेले में सबसे पहले ग्रामीण गांव में एक माह पहले से टिमरु के पौधे की खाल निकालकर उसको सुखाकर पिसते हैं। पाउडर को नदी में डालने से पहले लोग ढोल-दमाउ की थाप पर जमकर नृत्य करते है और उसके बाद विभिन्न गाँव के लोग टिमरु के पाउडर को एक साथ नदी में डालते हैं। टिमरु पाउडर के नदी में डालते ही मछलियाँ बेहोश हो जाती हैं और लोग एक साथ नदी में उतरकर बेहोश मछली को पकङने में जुट जाते हैं।
इस मेले को लेकर स्थानीय लोगो में भारी उत्साह देखने को मिला। क्षेत्र के लोग कहीं भी रहें, लेकिन साल भर में इस मौण मेले के लिए अपने गांव जरुर आते हैं। जौनपुर के मौण मेला में क्षेत्र के 114 गांव सहित जनपद देहरादून के जौनसार से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। इस प्रकार के मेलों और त्योहारों के जरिये क्षेत्र के युवा अपनी संस्कृति, बोली-भाषा और प्राचीन परंपरा को बचाने में जुटे हुए हैं।