अमित शाह लगाएंगे क्लास, नेताओं की फूली सांस…

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देहरादून: उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में काबिज हुई बीजेपी की डबल इंजन सरकार से आम जनता को भी डबल उम्मीदें ही थी लेकिन सरकार के छह माह के कार्यकाल में बीजेपी सरकार सत्ता के नशे में ऐसी खोई रही की कोई भी ठोस निर्णय खासकर गरीब और किसान वर्ग के लिए सरकार की तरफ से नहीं लिया गया।

सरकार खुद के ही अंतर्कलह में यू फसती गयी की अब कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का दो दिवसीय देहरादून दौरे की प्राथमिकता बीजेपी के छह माह के कार्य की समीक्षा करने के साथ ही इस कलह को सुलझाना भी रहेगी। इस समीक्षा बैठक को लेकर सभी कार्यकर्ता काफी सहमे हुए है इसका कारण कुछ और नही बल्कि पिछले छह महीने में पार्टी के अंदर उभरा मतभेद है।

अमित शाह द्वारा लगाई जाने वाली क्लास में बीजेपी के असंतुष्ट कार्यकर्ता, नेता, मान्यगण कब किसी दुसरे की पोल अमित शाह के सामने खोल कर रख दे, ये डर भी प्रदेश संगठन को जरुर सता रहा होगा क्योंकि आजकल बीजेपी के अंदरखाने काफी कुछ चल रहा है, जो समय-समय पर सार्वजनिक भी होता रहा है।

दो मंत्रियों की ऱार पिछले दिनों हरिद्वार की सड़कों पर खुलकर सामने आई।हरिद्वार में सतपाल महाराज और मदन कौशिक के समर्थकाें के बीच काफी झड़प हुई। हालांकि मदन कौशिक मैदान में खुलकर सामने नहीं आये लेकिन उनके खेमे के हरिद्वार मेयर मनोज गर्ग खुलकर मैदान में आये उन्होंने महाराज के आश्रम के सामने कूड़ा डलवा दिया। और खुद कुटाई का शिकार होकर हॉस्पिटल जा पहुंचे।

वहीं अभी हाल में ही में पर्यटन विभाग द्वारा दिया गया विज्ञापन भी काफी चर्चित रहा, इस फुल पेज विज्ञापन में सतपाल महाराज की फोटो तो थी लेकिन, सीएम की फोटो गायब रही…जिसका साफ़ संदेश यही जाता है कि उत्तराखंड पधारने के लिए पर्यटन मंत्री ने बुलाया है, मुख्यमंत्री ने नही…इससे महाराज और मुख्यमंत्री की तनातनी साफ़ जाहिर होती है।

लक्सर में सांसद रमेश पोखरियाल निशंक और विधायक कुंवर प्रणव चैम्पियन के बीच की तनातनी भी किसी से छुपी नहीं हैं, मामला पुलिस तक जा पहुंचा। चैम्पियन भी मुकदमे में नामजद हैं।

अब हरिद्वार का ही एक और मामला ले लीजिये जिसमें विधायक यतीश्वरानन्द सुर्खियों में आये थे जब एबीवीपी के साथ मिलकर बजरंग दल ने हरिद्वार में ही यतीश्वरानन्द का पूतला फूंका और उनकी जमकर धुनाई भी की।

रुड़की के सिविल लाइन्स में भी ऐसा ही वाकया सामने आया जब चंद्रशेखर की प्रतिमा लगाने को लेकर विधायक प्रदीप बत्रा और मेयर यशपाल राणा आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच जमकर कहासुनी भी हुई। साथ ही दोनों के समर्थक आपस में भिड़ गए और मारपीट भी हुई।

वही कैबिनेट की बैठक से हरक सिंह की दूरी उनकी नाराजगी के रूप में देखी गयी। चर्चा तो ये भी रही कि एक बार कैबिनेट बैठक में हरक सिंह और महाराज भी भिड़ गए थे।

अब शिक्षा मंत्री की बात करते है जो इन दिनों राष्ट्रीय मीडिया में अपने अंकगणित को लेकर खूब सुर्खिया बटोर रहे है..शिक्षा मंत्री शिक्षक समारोह से ही नदारद रहते है, शिक्षक दिवस के दिन राजभवन में आयोजित कार्यक्रम से उनकी दुरी को क्या समझा जाए?

अब अगर इन सबने एक दुसरे की पोल हाईकमान के सामने खोल दी तो बीजेपी संगठन और सरकार दोनों कटघरे में आ खड़े होंगे। अब ये देखना होगा की बीजेपी अपने अंदरखाने पैदा हो रहे विरोध के स्वर को दबाने में कितना कामयाब होती है। साथ ही ये देखना भी दिलचस्प होगा कि पहले ही सभी कार्यकर्ताओं के कारनामों के चिट्ठे मंगवा चुके अमित शाह अपनी पाठशाला में किसकी पीठ थपथपाते है और किसे फटकार लगाते है?

विनीता पंगेनी की रिपोर्ट….

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