देहरादून: यूकाडा के अधिकारियों ने अपनी मनमानी कर अपने चहेतों को टेंडर तो दिला दिए, लेकिन अब उन आपरेटरों के हेलीकाॅप्टर उड़ान ही नहीं भर रहे। सरकार ने नौ चहेते आपरेटरों को टेंडर दिए थे, लेकिन उनमें से पहले सात ही आपरेटरों के हेलीकाॅप्टर उड़ान भर रहे थे। पांच मई को एक और आपरेटर के हेलीकाॅप्टर ने भी उड़ान भरी, लेकिन एक आपरेटर टेंडर मिलने के बाद अब भी उड़ान नहीं भर रहा है। जबकि सरकार ने पांच आपरेटरों को शर्तों में उलझाकर पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
सरकार को गुमराह कर यूकाडा के अधिकारियों ने अपनी चहेते आपरेटरों को लाभ पहुंचाने के चक्कर में पांच आपरेटरों को टेंडर के काबिल ही नहीं माना। अब मुशीबत यह हो रही है कि जिन आपरेटरों को टेंडर दिए गए। उनके हेलीकाॅप्टर नियमित उड़ान नहीं भर रहे हैं। एक आपरेट का अब तक एक भी हेलीकाॅप्टर ने उड़ान नहीं भरी। सवाल यह है कि जब आपरेटरों को हवाई सेवाएं ही नहीं देनी थी, तो सरकार ने उनको टेंडर ही क्यों दिया। उनकी जगह पर टेंडर प्रक्रिया में छूटे आपरेटरों को भी मौका दिया जा सकता था। सरकार के पास अब भी मौका है।
उठानी पड़ी रही परेशानी
पर्याप्त हेलीपैड और हेलीकाॅप्टर नहीं होने का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल, केदारनाथ समेत चारों धामों के लिए यात्रियों को टिकट ही नहीं मिल पा रहे हैं। उसका मुख्य कारण यह है कि सरकार ने मोनोपाली के तहत केवल नौ ही आपरेटरों को टेंडर दिए, जबकि केदारघाटी में 14 हेलीपैड पंजीकृत हैं। इनको उड़ान की अनुमति मिलने से जहां, इन लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं, चारधाम यात्रा पर आ रहे यात्रियों को भी सुविधा मिलेगी।