देहरादून: पिछले कुछ दिनों से केदारनाथ में जिस लेजर शो की चर्चा जारों से चल रही थी। सरकार जिस शो को ऐतिहासिक बता रही थी। दरअसल, वह केवल प्रदेश और केंद्र सरकार का पब्लिटीसी स्टंट निकला। केदारनाथ विधायक मनोज रावत और बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और स्थानीय लोगों के विरोध के बाद लेजर शो को बंद कर दिया गया है। शो का जिम्मा गुजरात की एक कंपनी को दिया गया था।
केदारनाथ में लेजर शो के नाम पर प्रचारित किए जा रहे एनिमेशन शो को लेकर कपाट खुलते ही विरोध हो गया। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने बताया कि लेजर शो के नाम पर एनिमेशन फिल्म चलाई जा रही थी। उन्होंने बताया कि फिल्म में केदानाथ से जुड़ी कथाओं के साथ ही केदारनाथ आपदा के बारे में भी बताया गया था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि फिल्म में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के केदारनाथ आपदा से लोगों बचाने का प्रचार किया गया था, जबकि उस वक्त पहले विजय बहुगुणा और बाद में हरीश रावत मुख्यमंत्री थे। इसके अलावा विधायक मनोज रावत, बदरी-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष गणेश गोदियाल और स्थानीय लोगों ने इस बात का भी विरोध किया। लोगों का कहना था कि मंदिर भगवान केदारनाथ का है। मंदिर को स्क्रीन बनाना एकदम गलत था। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भगवान केदारनाथ से ऊपर नहीं हो सकते। साथ ही कथित लेजर शो से बहुत तेज शोर भी हो रहा था।
धार्मिक मान्यताएं भी टूटी
विधायक मनोज रावत का कहना है कि कपाट खुलने से पहले मंदिर परिसर में लेजर शो भारी शोर के साथ कराने से धार्मिक मान्यताएं भी टूटी हैं। उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कपाट खुलने से पहले मंदिर परिसर में शोर करना वर्जित है। दरअसल, बाबा छह माह के लिए समाधी में होते हैं। कपाट खुलने से पहले इस तरह के शो कराना पूरी तरह गलत है।
आयोजकों ने मांगी माफी
लेजर शो कराने वाली गुजरात की कंपनी ने लोगों से माफी मांगी है। साथ ही कहा कि फिल्म में से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत वाला हिस्सा कट करने की बात भी कही, लेकिन जिस तरह शो के दौरान शोर हो रहा था। उससे धाम में रह रहे लोगों को भी दिक्कतें हो रही थीं।