नैनीताल: हाईकोर्ट ने राज्यों से दो वर्षीय डिप्लोमाधारी अभ्यर्थियों को सहायक प्राथमिक में नियुक्ति दिए जाने के निर्णय के विरूद्घ दायर सरकार की स्पेशल अपील को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायधीश केएम जोसेफ एवं न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार, अल्मोड़ा निवासी हरीश चंद बनाम राज्य के निर्णय जिसमे दो वर्षीय डीएलएड डिप्लोमा राज्य से बाहर् से किये जाने के बावजूद नियुक्ति दिए जाने के लिए जिले में प्राथमिक सहायक भर्ती प्रक्रिया में याचिकाकर्ता को शामिल किए जाने के आदेश दिए थे। याचिकाकर्ता का कहना था कि, याची ने मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राथमिक शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा दिल्ली से किया था, साथ ही उसने टीईटी भी उत्तीर्ण किया था। याचिका में कहा कि संबंधित जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक नैनीताल व उधमसिंह नगर की ओर से सहायक अध्यापक चयन के लिए जुलाई 2016 में विज्ञपान जारी किया, जिसमे केवल उन अभ्यर्थियों को आमंत्रित किया गया था जिन्होने संबंधित जिले की डाइट से डीएलएड व टीईटी पास किया हो। याचिकाकर्ता ने विज्ञापन की इस शर्त को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि राज्य सरकार एनसीटीई की ओर से निर्धारित न्यूनतम योग्यता धारी अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से चयन प्रक्रिया में शामिल होने से नही रोक सकते। याचिकाकर्ताओ का कहना था कि उनके द्वारा प्राप्त डिप्लोमा एनसीईटी की ओर से मान्यता प्राप्त है। जिसे भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए। पूर्व में याचिकाकर्ता को राहत देते हुए एकलपीठ ने चयन के लिए होने वाली काउंसलिंग में याचिकाकर्ताओं को 13 सितंबर 2017 के निर्णय से शामिल किये जाने की अनुमति दी थी। इस निर्णय को सरकार ने स्पेशल अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार की स्पेशल अपील को खारिज कर दिया।
अब अन्य राज्यो से प्रारम्भिक शिक्षा में 2 वर्षीय डिप्लोमा धारी अभ्यर्थियों के लिए उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षक बनने का रास्ता साफ हो गया है। अभी तक केवल जिन अभ्यर्थियों ने 13 जिलों के संबंधित डाइट से डीएलएड किया हो, उन्ही को भर्ती में शामिल किया जाता था।