नैनीताल: हाईकोर्ट ने वाणिज्य कर विभाग (परिवर्तित नाम राज्य कर विभाग) के अफसरों पर औद्योगिक घरानों और उद्योगपतियों से मिलीभगत कर सरकार को राजस्व के नुकसान किये जाने व उनकी बेनामी संपत्ति की जांच किये जाने के मामले में दायर जनहित याचिका में सुनवाई के बाद, पूर्व में कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए, याचिकाकर्ता को एक लाख की जमानत राशि हाईकोर्ट में जमा करने को कहा था। जिसे लेकर याचिकाकर्ता ने एक लाख रुपए जमा करने के लिए छूट प्रदान करने हेतु प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा था। कोर्ट ने जमानत राशि जमा करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 सप्ताह बाद कि तिथि नियत की। वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार, रुड़की निवासी धर्मेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि, वाणिज्य कर विभाग के अफसर औद्योगिक घरानों और उद्योगपतियों से मिलीभगत कर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं। याचिका में कहा कि, वाणिज्य कर विभाग भ्र्ष्टाचार के कमीशन खोरी का अड्डा बन गया है। याचिका में विभाग के अफसरों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए याचिकाकर्ता को एक लाख की जमानत राशि हाईकोर्ट में जमा करने को कहा।