किसी स्वर्ग से कम नहीं उत्तराखंड के ये बुग्याल…….

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प्राकृतिक सौंदर्य से भरा भारतवर्ष देश आज विदेशों में भी चर्चित है। यहां न केवल स्वर्ग से सुदंर कश्मीर है, बल्कि पूरा भारत अपने आप में एक स्वर्ग का खजाना है।
यहां का हर एक राज्य अपने आप में अनूठा है। जहां की कुछ न कुछ खासियत है। चाहे वह पर्यटक स्थलों से हो, चाहे मंदिरों से या फिर चाहे विश्वविद्यालयों से हो लेकिन प्रत्येक राज्य की अपनी-अपनी खासियत है।
वैंसे ही उत्तराखंड राज्य असीम सुदंरता के लिए और प्रसिद्व मंदिरों के लिए विश्वभर में प्रख्यात है। तो चलिए आज हम आपको उत्तराखंड के उन प्रमुख बुग्यालों के सैर करवाते हैं, जो विश्व भर में सुमार हैं।

पहलें जानें किसे कहा जाता है बुग्याल

उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में हिमशिखरों की तलहटी में जहाँ टिम्बर रेखा (यानी पेडों की पंक्तियाँ) समाप्त हो जाती हैं, वहाँ से हरे मखमली घास के मैदान आरम्भ होने लगते हैं। आमतौर पर ये 8से 10 हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित होते हैं। गढ़वाल हिमालय में इन मैदानों को बुग्याल कहा जाता है।

बुग्याल हिम रेखा और वृक्ष रेखा के बीच का क्षेत्र होता है। स्थानीय लोगों और मवेशियों के लिए ये चरागाह का काम देते हैं तो बंजारों, घुमन्तुओं और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए आराम की जगह व कैम्पसाइट। गर्मियों की मखमली घास पर सर्दियों में जब बर्फ़ की सफेद चादर बिछ जाती है तो ये बुग्याल स्कीइंग और अन्य बर्फ़ानी खेलों का अड्डा बन जाते हैं। गढ़वाल के लगभग हर ट्रैकिंग रूट पर इस प्रकार के बुग्याल मिल जाएंगे। कई बुग्याल तो इतने लोकप्रिय हो चुके हैं कि अपने आप में पर्यटकों का आकर्षण बन चुके हैं। जब बर्फ़ पिघल चुकी होती है तो बरसात में नहाए वातावरण में हरियाली छाई रहती है। पर्वत और घाटियां भान्ति-भान्ति के फूलों और वनस्पतियों से लकदक रहती हैं। अपनी विविधता, जटिलता और सुंदरता के कारण ही ये बुग्याल घुमक्कडी के शौकीनों के लिए हमेशा से आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। मीलों तक फैले मखमली घास के इन ढलुआ मैदानों पर विश्वभर से प्रकृति प्रेमी सैर करने पहुँचते हैं।

इनकी सुन्दरता यही है कि हर मौसम में इन पर नया रंग दिखता है। बरसात के बाद इन ढ़लुआ मैदानों पर जगह-जगह रंग-बिरंगे फूल खिल आते हैं। बुग्यालों में पौधे एक निश्चित ऊँचाई तक ही बढ़ते हैं। जलवायु के अनुसार ये अधिक ऊँचाई वाले नहीं होते। यही कारण है कि इन पर चलना बिल्कुल गद्दे पर चलना जैसे लगता है।

फूलों की घाटी

राष्ट्रीय उद्यान: जिसे आम तौर पर सिर्फ फूलों की घाटी कहा जाता है, यह उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित है। यूनेस्को ने नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान को सम्मिलित रूप से विश्व  धरोहर स्थल घोषित किया है।

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यह उद्यान 87.50  किमी² क्षेत्र में फैला हुआ है। फूलों की घाटी को सन 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। फूलों की घाटी तक पहुँचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्दघाट 275 किमी दूर है।जोशीमठ से गोविन्दघाट की दूरी 21 किमी है। यहाँ से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 किमी है जहाँ से पर्यटक 3 किमी लम्बी व आधा किमी चौड़ी फूलों की घाटी में घूम सकते हैं।

बेदनी बुग्याल

प्रसिद्ध बेदनी बुग्याल रूपकुंड जाने के रास्ते पर पडता है। 3,354  मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस बुग्याल तक पहुँचने के लिए के लिए  ऋषिकेश, कर्णप्रयाग, ग्वालदम, मंदोली होते हुए वाण पहुंचना होगा। वाण से घने जंगलों के बीच गुजरते हुए लगभग 10 किलोमीटर की चढा़ई के बाद आप बेदनी के सौंदर्य का आंनद ले सकते हैं। इस बुग्याल के बीचों-बीच फैली झील यहां के सौंदर्य में चार चांद लगी देती है।

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चोपता बुग्याल

गढ़वाल का स्विट्जरलैंड कहा जाने वाला चोपता बुग्याल 2,900 मीटर की ऊंचाई पर गोपेश्वर-ऊखीमठ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है। चोपता से हिमालय की चोटियों के समीपता से दर्शन किए जा सकते हैं। चोपता से ही 8 किलोमीटर की दूरी पर दुगलबिठ्ठा नामक बुग्याल है। यहाँ कोई भी पर्यटक सुगमता से पहुँच सकता है। चमोली जिले के जोशीमठ से 12 किलोमीटर की दूरी पर 2,600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

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बगजी बुग्याल

चमोली  और बागेश्वर के सीमा से लगा बगजी बुग्याल भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। समुद्रतल से 12,000 पर स्थित यह बुग्याल लगभग चार किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यहां से हिमालय की सतोपंथ, चौखंभा, नंदादेवी और त्रिशूली जैसी चोटी के समीपता से दर्शन होते हैं।

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पवालीकांठा बुग्याल

टिहरी जिले में स्थित पवालीकांठा बुग्याल भी ट्रेकिंग के शौकीनों के बीच जाना जाता है। टिहरी से घनसाली और घुत्तू होते इस बुग्याल तक पहुँचा जा सकता है। 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह बुग्याल गढ़वाल का सबसे बडा़ बुग्याल है। यहाँ से केदारनाथ के लिए भी रास्ता जाता है। कुछ ही दूरी पर मट्या बुग्याल है जो स्कीइंग के लिए बहुत उपयुक्त है। यहां पाई जाने वाली दुलर्भ प्रजाति की वनस्पतियां वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बनी रहती हैं।

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दयारा बुग्याल

उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग पर भटवाडी से रैथल या बारसू गाँव होते हुए आता है दयारा बुग्याल।10,500 फीट की ऊँचाईं पर स्थित यह बुग्याल भी धरती पर स्वर्ग की सैर करने जैसा ही है। ऐसे न जाने गढवाल में कितने ही बुग्याल हैं जिनके बारे में लोगों को अभी तक पता नहीं है। इनकी समूची सुंदरता को केवल वहाँ जाकर महसूस किया जा सकता है। हालाँकि हजारों फीट की ऊँचाई पर स्थित इन स्थानों तक पहुँचना हर किसी के लिए संभव नहीं है।

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