बागेश्वर: पहाड़ में नौकरशाही बेलगाम हो गयी है। मनरेगा जैसी योजनाओं का बुरा हाल है। अधिकारी जनता को तो गुमराह कर ही रहे हैं। अपने उच्चाधिकारियों को भी गुमराह करने से नहीं चूक रहे। आलम यह है कि ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत से भेजे गए प्रस्तावों को दरकिनार कर ब्लाक में तैनात अधिकारी अपने हिसाब से योजनाएं पास कर रहे हैं। जबकि उनकी न तो जरूरत है और न उनकी ओर से बनाई गई योजनाएं सही हैं। योजनाओं को पास करने के लिए ग्राम प्रधान के हस्ताक्षर भी जरूरी हैं, लेकिन ब्लाक में बिना हस्ताक्षर के ही योजना पास कर दी जा रही है।
कपकोट के कर्मी गांव के आक्रोशित ग्रामीणों, ग्राम प्रधानों और क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने अधिकारियों पर मनरेगा में बड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कर्मी गांव में जन प्रतिनिधियों के अधिकारों को खत्म किया जा रहा है। गांव में जो भी विकास योजना मनरेगा के तहत आती है। गांव की खुली बैठक में प्रस्ताव तैयार कर योजलना ब्लाक को भेजी जाती है। जहां अधिकारी मनमाने ढंग से योजनाओं को बदलकर अपनी मनमर्जी से योजना को पास कर देते हैं। गांव की श्रमिक महिलाओं का 8 महिने से भुगतान नहीं हो पाया है। ग्रामीणों का आरोप है कि बिना प्रधान के हस्ताक्षर के किसी योजना को कैसे पास किया जा सकता है। इस संबंध में डीएम को भी पत्र लिखा, लेकिन अब तक कोई जांच नहीं की गई। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि एक सप्ताह में जांच नहीं होने की स्थिति में ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।