बागेश्वर: पहाडों में नौकरशाही दिन-प्रतिदिन बेलगाम होती जा रही है। नरेगा-मनरेगा जैसी योजनाएं लूट का जरिया बनती जा रही है। ऐसा ही मामला बागेश्वर के कपकोट गांव में सामने आया है। जहाँ ग्रामीणों का कहना है कि, गांव मे कई विकास योजनाएं नरेगा-मनरेगा के तहत आती हैं। गांव में बैठक बुलाकर कार्ययोजना हेतु प्रस्ताव ब्लाक भेजे जाते हैं, लेकिन ब्लाक कपकोट द्वारा गांव वालों के प्रस्तावों को बदलकर कार्ययोजना में चढा दिया जाता है।
बताया जा रहा है कि गांव की श्रमिक महिलाओं का 8 महिने से भुगतान नहीं हो पाया है। ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य द्वारा नरेगा मनरेगा भुगतान के संबंध मे 27 फरवरी को जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया था। साथ ही ग्रम प्रधान द्वारा आरोप लगाया गया था कि उनकी मोहर और हस्ताक्षर के बिना ही कार्ययोजनाएं पास हो रही है। हालांकि जिलाधिकारी द्वारा सीडिओ से जांच के आदेश भी दिए थे लेकिन आज तक कोई जांच नहीं हो पाई है । फिलहाल 3 दिन के भीतर जांच पूरी करने की बात कही जा रही है।