नैनीताल: हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से दायर स्पेशल अपील को खारिज करते हुए, अपील दायर कराने वाले अधिकारियों पर कोर्ट का बहुमूल्य समय बर्बाद करने के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ता की सर्विस को पेंशन में जोड़ने के आदेश दिए हैं। वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार पूर्व में देहरादून निवासी रामस्वरूप ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि, वे सिंचाई विभाग से बेलदार के पद से 30 वर्ष के सेवाकाल के बाद रिटायर हुए थे। उनकी इस सेवाकाल को विभाग की ओर से रिटायरमेंट के लाभों के लिए नहीं जोड़ा गया, जिससे उनको पेंशनरी बेनेफिट का लाभ नहीं मिल रहा है। एक अगस्त 2017 को एकलपीठ ने आदेश जारी कर याचिकाकर्ता की सेवाकाल को पेंशनरी बेनेफिट में जोड़े जाने का आदेश दिए थे। एकलपीठ के इस आदेश को सरकार ने स्पेशल अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि, इससे संबंधित याचिकाएं न्यायालय की खंडपीठ में लंबित है। याचिकाकर्ता के अधिक्वता एमसी पंत ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता से संबंधित मामला हबीब खान बनाम सरकार में सर्वोच्च न्यायालय पहले ही निर्णय दे चुका है। जिसमें कहा गया है कि वर्क चार्ज की अवधि को पेंशनरी लाभों में जोड़ा जाय। लेकिन सरकार द्वारा वर्कचार्ज सेवकों की सेवा को पेंशनरी लाभों में नहीं जोड़ा गया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 141 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हबीब खान में पारित आदेश बाध्यकारी है। इसलिए सरकार की स्पेशल अपील का कोई औचित्य नहीं है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार की स्पेशल अपील को खारिज करते हुए अपील दायर करने व संस्तुति देने वाले अधिकारियो पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।