देहरादून : प्रदेश के स्कूलों में बच्चों की लचर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षक आयोग पिछले कुछ दिनों से नजर बनाए हुए है। ऐसे में स्कूल प्रशासन की भी पूरी जिम्मेदारी बनती है कि वह न सिर्फ बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराए, बल्कि मातापिता के विश्वास पर भी खरा उतरे। हर मातापिता का कर्तव्य है कि अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें। घर के बाद बच्चे सब से अधिक समय स्कूल में बिताते हैं, ऐसे में स्कूल परिसर में बच्चों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षक आयोग की सदस्य सीमा डोरा ने हैलो उत्तराखंड न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि निजी स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था का बच्चों के परिजनों को ध्यान देना होगा। सीमा ने कहा कि आज के दौर में बच्चों में अनुशासनहीनता भी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्र-छात्रा स्कूल में दुर्व्यवहार करता है तो उसे सस्पेंड न किया जाये। बल्कि उन बच्चों के परिजनों के साथ कौन्सिलिंग की जाये। स्कूली बच्चों का पश्चिमी संस्कृति की ओर बढ़ते रुझान को लेकर सीमा ने कहा कि आज के युग के बच्चों को पश्चिमी संस्कृति का सकारात्मक तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वहीँ कुछ दिनों पहले सीमा ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए थे कि कोई भी निजी स्कूल किसी बच्चे को लम्बे समय के लिए सस्पेंड न करें। इस फैसले पर उन्होंने कहा कि स्कूल प्रशासन की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। वहीँ शिक्षा के अधिकार वाले मामले में उन्होंने कहा कि अधिकार का सही तरीके से उपयोग नहीं किया जा रहा है, लोग इसका गलत फयदा उठा रहे है। बहरहाल आयोग प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए काम तो कर रहा है मगर देखने वाली बात होगी की धरातल पर किस तरह से काम होता है।