रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड के हस्त शिल्प को बडावा देने और इसे स्वरोजगार से जोडने के लिए रुद्रप्रयाग जनपद में नई पहल शुरु हुई है। यहां पर अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को हस्तशिल्प की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे रिंगाल की टोकरियों को तैयार किया जा रहा है। ये टोकरियां बद्रीनाथ व केदारनाथ में प्रसाद देने के लिए उपयोग में लायी जायेंगी और भारी संख्या में इन टोकरियों को मंदिर समिति प्रशासन के माध्यम से खरीदेगी।
भारत सरकार के हस्त शिल्प वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से जिला उद्योग केन्द्र इन विशेष ट्रेनिंग को एक्सपर्ट्स के माध्यम से करवा रहा है। लुप्त हो चुकी उत्तराखंड की हस्त शिल्प को इस योजना के जरिये बडावा दिया जा रहा है और रोजगार के प्रमुख साधन के तौर पर बेरोजगारों को इससे जोडा जा रहा है। हस्त शिल्प के जरिये रोजगार अपनाने वाले लोग भी इससे खुश हैं और इसे अपनी आमदनी का प्रमुख जरिया मान रहे हैं।
योजना के तहत तीन माह के प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षुओं को 11 हजार रुपये की धनराशि व टूल वाॅक्स दिया जा रहा है। जिससे प्रशिक्षु आने वाले समय में इन टोकरियों का आसानी से निमार्ण कर सके।
प्रदेश में चार धामों के अलावा अन्य प्रमुख 665 मंदिरों में भी स्थानीय उत्पाद से बनने वाली इन टोकरियों को पहुचाने के भी प्रयास चल रहे हैं और टोकरी निर्माण का प्रशिक्षण दे रहे प्रशिक्षकों का कहना है कि इससे हमारी हस्त शिल्प कला पुर्नजीवित तो होगी ही साथ ही बेरोजगार लोगों के लिए स्वरोजगार का बडा साधन बनेगा।
प्रदेश में पहले भी हस्त शिल्प को संरक्षित करने के लिए कई योजनाएं संचालित की गयी मगर कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतर पायी जिसका बडा कारण उचित बाजार का न मिलना रहा। मगर इस बार लग रहा है कि योजना जरुर सफल होगी जिसके पीछे बडा कारण यह है कि इन उत्पादों को बद्रीकेदार के साथ ही तमाम मंदिरों में प्रसाद देने के लिए किया जायेगा।