देहरादून: शहरों में स्वच्छता को लेकर परस्पर प्रतिस्पर्धा के लिए केंद्र सरकार द्वारा तीसरे साल भी शहरी निकायों में स्वच्छता सर्वेक्षण होगा। भारत को स्वच्छ बनाने के लिए शुरू किये गए स्वछता अभियान के तहत भारत सरकार आगामी 4 जनवरी 2018 को सम्पूर्ण भारत स्तर पर सर्वेक्षण करेगी जिसके बाद हर निकाय की स्वछता को मध्यनजर रखते हुए रैंकिंग तय की जाएगी। इस सर्वेक्षण में अव्वल आने की होड़ में प्रदेश की त्रिवेन्द्र सरकार भी जुट गयी है जिसके तहत मुख्यमंत्री ने स्वछता सर्वेक्षण की रैंकिंग में प्रथम 50 में अपनी जगह बनाने पर प्रदेश के निकायों को इनाम देने की बात कही है।
जनता दरबार के लिए हल्द्वानी पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश वासियों से स्वच्छता की अपील करने के साथ ही सर्वेक्षण की रैंकिंग में जगह बनाने वाले निकायों को 75 लाख, 50 लाख और 25 लाख रुपयों से सम्मानित करने का ऐलान किया है।
वही हल्द्वानी नगर निगम के मेयर जोगेन्द्र रौतेला और नगर आयुक्त हरबीर सिंह ने शहर वासियों से साफ सफाई को लेकर की अपील। आम जनता को शहर के स्वच्छता अभियान को लेकर जागरूक करने के लिए लगाए जगह-जगह होर्डिंग भी लगवाई गई है।
लेकिन सवाल ये उठता है की प्रतियोगिता में रखे इनाम को हासिल करने के लिए सर्वेक्षण के वक्त तक तो साफ सफाई कर ली जाएगी लेकिन शहर को सिमित समय के लिए स्वच्छ बनाकर केवल उच्च रैंकिंग की वाहवाही लूटने के लिए की जा रही सफाई क्या आगे भी जारी रहेगी या सर्वेक्षण खत्म होने के बाद सफाई से निकाय पल्ला झाड लेंगे?
चार जनवरी से मार्च 2018 तक चलने वाले इस सर्वेक्षण में देश के सभी 4041 स्थानीय निकायों को शामिल किया जाएगा जबकि 2016 के सर्वेक्षण में एक सौ शहरों को लिया गया था, और 2017 के दूसरे सर्वेक्षण में 500 शहरों को शामिल किया गया था।
पूर्ण स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर किसी का स्वछता आंदोलन से जुड़ना जरुरी है। स्वच्छता को बनाये रखने के लिए सतत निरंतरता का होना जरूरी है। लेकिन ठोस कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या है, जिसके बगैर वास्तविक लक्ष्य को पाना संभव नहीं होगा।