रुद्रप्रयाग: अगले एक सप्ताह तक इंद्र देव प्रसन्न नहीं होते हैं तो रुद्रप्रयाग जिला सूखे की चपेट में आ जायेगा। मौजूदा वर्ष में अभी तक भी बारिश नहीं हुई है और ना ही उंचाई वाले इलाकों में बर्फवारी जिसके चलते जिले में सूखे के आसार बनते दिख रहे हैं। अभी तक जिले के तीनों विकासखण्डों में 25 से 30 फीसदी सूखा कृर्षि विभाग ने सरकारी आंकडों के तौर पर आंकलन किया है।
जलवायु परिवर्तन के चलते पहाडों में भी अब ना तो बर्फ देखने को मिल रही है और ना ही बारिश। नतीजतन इसका सीघा असर कृषि पर देखने को मिल रहा है। जनवरी माह में उंचाई वाले इलाके बर्फ से ढके रहते है और बारिश के चलते पेयजल स्रोत भी रिर्चाज होते रहते हैं मगर इस बार बारिश ना होने से जहां आने वाले समय में पेयजल की किल्लत होगी वहीं वनाग्नि की घटनाएं भी बढ़ेगी व महिलाओं को घास चारे की भी दिक्कतें होंगी।
वहीं जिले के मुख्य कृर्षि अधिकारी आरपीएस रावत का कहना है कि इस वर्ष बारिश कम हुई है और अगले एक सप्ताह तक यही हालात रहते है तो जिला सूखे की चपेट में आ जायेगा। वर्षा के आंकडों को देखें तो 2015 में 1123 मिलीमीटर, वर्ष 2016 में 1586.30 मिली मीटर, वर्ष 2017 में 1279.40 मिली मीटर वर्षा रिकार्ड की गयी है। जबकि वर्ष 2018 में अभी तक वर्षा का रिकार्ड निल है। वर्ष 2017 में जनवरी माह का वर्षा रिकार्ड देखा जाय तो महज 20 मिली मीटर ही वर्षा हुई मगर वर्ष 2018 में अभी भी वर्षा का औसत शून्य है।
जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में अब पहाड भी आने लग गये है, वह पूरे विश्व के लिए कहीं ना कहीं खतरनाक साबित होगा। जनवरी के महीनों में ही पहाडों के जंगल आग से दहकने लग गये है, ग्लेश्यिर पिघलने लग गये है और बारिश की एक भी बूंद नहीं है, ऐसे में आने वाले दिनों में पहाडों की समस्याएं घटने के बजाय बढ़ने ही वाली है।