देहरादून। सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है। जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सीएम रावत पर एक बार फिर जमकर आरोप लगाए है।
बृहस्पतिवार को शहर के एक निजी होटल में प्रेस वार्ता करते हुए रघुनाथ ने कहा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विधानसभा चुनाव 2017 में अपने नामांकन पत्र में कहीं भी ढैंचा बीज घोटाले का उल्लेख नहीं किया, जबकि उच्च न्यायालय में उक्त अनियमितता को लेकर एक जनहित याचिका सीएम रावत के खिलाफ लम्बित थी और उक्त मामले में रावत को न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किये गये थे। रघुनाथ ने कहा कि मामले में त्रिपाठी जॉंच आयोग सीएम रावत को पहले ही भ्रष्टाचार का दोषी ठहरा चुका है। और इनके खिलाफ कार्यवाही को लिख चुका है लेकिन इन सब तथ्यों के बावजूद सीएम रावत द्वारा नामांकन पत्र में कहीं भी उक्त घोटाले का उल्लेख नहीं किया गया।
रघुनाथ ने सीएम रावत पर आरोप लगाया है कि नामांकन पत्र में उन्होंने न्यायालय में लम्बित मामले को नहीं दर्शाया। नेगी ने कहा कि सीएम अगर अपने नामांकन पत्र में ढैंचा बीज घोटाले का उल्लेख करते तो निश्चित तौर पर आज प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान नहीं संभाले होते। साथ ही उन्होंने बताया कि जन संघर्ष मोर्चा ने भारत निर्वाचन आयोग के महानिदेशक दिलीप शर्मा से मुलाकात कर उक्त मामले की शिकायत की थी, जिसमें आयोग ने इस तथ्य को गम्भीर माना था।
नेगी के आरोपों का सिलसिला यही नहीं रुका उन्होंने कहा कि जीरो टोलरेंश का ढोल पीटने वाले सीएम रावत वर्ष 2010 से लेकर आज तक खरीदी गयी तमाम बेनामी संपत्तियों को भी जनता के सामने उजागर करने से कतरा रहे है। साथ ही उन्होंने कहा की मोर्चा भ्रष्टाचारियों की हकीकत जनता के सामने लाकर ही दम लेगा।
वहीँ जब हैलो उत्तराखंड न्यूज़ ने रघुनाथ से पूछा कि कहीं आपकी सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से आपसी रंजिश तो नहीं है? तो उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य को बचाने के लिए मुख्यमंत्री की छवि का साफ़ होना बेहद जरुरी है। साथ ही उन्होंने कहा कि सीएम रावत से पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और राज्य के पूर्व गवर्नर अजीज कुरैशी के खिलाफ भी उन्होंने मोर्चा खोला था।