उत्तरकाशी: मोरी विकासखंड के नैटवाड में सतलुज जल विद्युत निगम के निर्माण कार्य से प्रभावित हो रहे वन गुज्जरों ने विस्थापन की मांग की है। उनका कहना है कि परियोजना निर्माण में उनके घरों के साथ उनकी जमीनों को छीनने का काम किया जा रहा है जिस कारण वहां निवास करने वाले गुज्जरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मोरी विकासखंड के नैटवाड़ तथा बैनोल के जख्यानी तोक में निवास करने वाले वन गुजरों के 16 परिवारों ने शासन-प्रशासन से विस्थापन की गुहार लगाई है। वन गुजरों के इन परिवारों ने बताया कि सतलुज परियोजना के निर्माण कार्य होने से उनके मकान तथा जमीनों को छीनने का काम किया जा रहा है जिस कारण वहां निवास करने वाले वन गुज्जर बेघर हो सकते हैं। जबकि काफी लंबे समय से वन गुज्जरों के परिवार यहां पर निवास कर रहे हैं ।
गुज्जरों का कहना है कि हम वन विभाग से परमिट लेकर इस जगह पर निवास कर रहे हैं। इस संबंध में वन गुज्जरों ने आज डीएम को ज्ञापन प्रेषित किया गया जिसमें उन्होंने विस्थापन के साथ मुआवजा देने की मांग की है। वहीं ऐसा न होने पर अपनी घरों तथा जमीनो को नहीं छोड़ने की चेतावनी भी दी है।
वहीं डीएम डॉ आशीष चौहान ने हैलो उत्तराखंड न्यूज से बात करते हुए बताया कि मामले में एसडीएम को तहकीकात के लिए कहा गया है। साथ ही पूरी रिर्पोट सौंपने को भी कहा गया है कि किन गुज्जरों को इससे नुकसान हो रहा है और कितना।