उत्तराखंड फिल्म परिषद पर बलदेव राणा के गंभीर आरोप, प्रदेश को बोलने वालों की नहीं, बल्कि बनाने वालों की है जरूरत – हेमंत पांडे

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मंयक ध्यानी की रिपोर्ट

अगस्त 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा उत्तराखंड फिल्म बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड के गठन के साथ ही ये उम्मीद जताई गई की अब उत्तराखंड की फिल्मों औऱ कलाकारों को वो सम्मान मिलेगा जो अब तक नहीं मिला। साथ ही बोर्ड के गठन के साथ ये परिकल्पना भी की गई की रीजनल फिल्म को बढावा दिया जाएगा। लेकिन मात्र 6 महीने बाद ही जिस तरह से स्थानीय कलाकारों के सुर उठ रहे हैं, उससे तो यहीं लग रहा है कि फिल्म परिषद उस रास्ते पर नहीं चल रहा है, जिस रास्ते पर चलने की उम्मीद उससे की जा रही थी।

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गढ़वाली फिल्मों के प्रसिद्ध कलाकार बलदेव राणा ने फिल्म परिषद पर आज हैलो उत्तराखंड से बात कर तीखे आरोप लगाए। बलदेव राणा का कहना है कि फिल्म परिषद में उन लोगों को सदस्य बनाया गया है, जिन लोगों के पास उतनी योग्यता नहीं है, जितनी होनी चाहिए। हेमंत पांडे पर उत्तराखंड को समय न दे पाने को लेकर भी बलदेव राणा ने सवाल खड़े किये। उनका कहना है कि…..

फिल्म परिषद पिछले 6 महीने से क्या कर रहा है ?

क्यों फिल्म परिषद एक्टिव नहीं हो रहा है ?

रीजनल फिल्म की नीतियों को अब तक न बनाए जाने को लेकर भी बलदेव राणा ने अपनी नाराजगी जाहिर की। रीजनल फिल्म पर बात करते हुए भावुक हुए बलदेव राणा ने हमें बताया कि उत्तराखंड के सीनेमा घरों में हमारी फिल्में नहीं लगाई जाती है औऱ अगर लगाते भी है तो सिनेमा घरों द्वारा फिल्म निर्माताओं से मनमाना किराया वसूला जाता है।

इसी के साथ सरकार पर नाराज होते हुए उन्होनें कहा कि हमारे प्रदेश में एक भी चलचित्र निगम नहीं बनाया गया है। जहां पर सचिवों द्वारा फिल्म को देखकर निर्णय लिया जाता है कि फिल्म को टैक्स फ्री किया जाए या नहीं। बलदेव राणा की माने तो अभी तक रीजनल फिल्म को देखने के लिए सरकार द्वारा निर्माताओं से डीवीडी मंगाई जाती हैं, जिससे पाइरेसी का खतरा बना रहता है।

वहीं उत्तराखंड फिल्म परिषद के उपाध्यक्ष हेमंत पांडे से जब हमारी बात हुई तो उन्होनें बताया कि फिल्म परिषद को लेकर वे दो बार मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। 22 मई के बाद त्रिवेंद्र सिहं रावत ने उनसे मिलने के लिए कहा है। हेमंत पांडे ने अपने ऊपर उत्तराखंड में कम समय देने को लेकर उठ रहे सवाल पर पांडे ने कहा कि वे पिछले 3 महीनों से उत्तराखंड में हैं। लेकिन जब तक मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं होगी तब तक नीतियां जमीन पर लागू नहीं हो सकती बल्कि इस समय उनके और उनसे मिलने आने वालों द्वारा सरकार पर चाय- बिस्कुट का खर्च अतिरिक्त पड़ रहा है।

उन्होनें हैलो उत्तराखंड को आश्वासन दिया कि जल्द ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर उत्तराखंड फिल्म परिषद  रीजनल फिल्म के हित के लिए बड़े निर्णय लेने जा रहा है।

आरोप लगाने वालों पर कटाक्ष करते हुए उन्होनें कहा कि इस समय उत्तराखंड को बोलने वाले लोगों की नहीं बल्की बनाने वाले लोगों की जरूरत हैं। अब देखना होगा कि कब मुख्यमंत्री उत्तराखंड फिल्म परिषद को समय देंगे और परिषद रीजनल फिल्म को बढ़ावा देने के लिए क्या क्या कदम उठायेगा।

हालांकि जिस गति से वर्तमान में रीजनल फिल्मों को लेकर सरकार औऱ परिषद चल रहा है, उस गति से बाकि प्रदेशों के सिनेमा की तुलना तक पहुंचना अंभव दिखता है। इसलिए दोनों को ही प्रदेश की भाषा,बोली और कलाकारों के हित में जल्द से जल्द गंभीरता से इस ओर अपनी गती को रफ्तार देनी होगी।

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