बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ वाले देश में अगर ये सुनने को मिले की बजट की कमी के कारण बालिकाओं से उनकी साईकिल औऱ प्रोत्साहन राशि छिनी जा रही है तो फिर समझिये कि ये नारा सिर्फ नारा ही बन कर रह गया। इसी की बानगी है कि इस बार केवल एसएसी, एसटी की कम आय वर्ग वाली छात्राओं को छोड़कर अन्य को मुफ्त साइकिल नहीं मिल पाएगी। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने कहा कि पिछले दो से तीन शिक्षा सत्रों में इस मद में विभाग को कोई बजट नहीं मिला। जबकि इस बार 16.5 करोड़ के जगह महज दो करोड़ रुपये मिलने पर यह फैसला लिया गया है। मालूम हो कि प्रदेश में बेटियों को हाईस्कूल तक की पढ़ाई के लिए प्रेरित करने वाली मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना के तहत मैदानी जिलों में छात्राओं को साइकिल और पर्वतीय जिलों में साइकिल की कीमत के बराबर एफडी दी जाती रही है।
आपको बता दें कि इस बार पूरे प्रदेश में नौवीं कक्षा की सामान्य, ओबीसी, एससी, एसटी की लगभग 58 हजार छात्रा छात्राओं को मुफ्त साइकिल दी जानी थी। जिसके लिए कुल 16.5 करोड़ रुपये बजट की डिमांड की गई थी, लेकिन सिर्फ दो करोड़ रुपये ही जारी हो पाए हैं। ऐसे में हफ्ते भर तक शासन में यह माथापच्ची चलती रही कि इन दो करोड़ रुपये का क्या किया जाए। आखिरकार नई सरकार और अफसरों के बीच बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एससी/एसटी वर्ग की सिर्फ उन छात्राओं को मुफ्त साइकिल दी जाएगी, जिनकी आय बेहद कम है।
जिसके बाद बालिका प्रोत्साहन योजना को लेकर सिस्टम की उदासीनता के चलते सामान्य, ओबीसी वर्ग की छात्राओं के अरमानों पर पानी फिर दिया गया है। अब जब प्रदेश में बेटियों की शिक्षा के लिए प्रोत्साहन राशि ही जुटानी मुश्किल हो रही है तो फिर हैरानी है कि विकास का रूप और रंग कैसा होगा।
मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना के तहत पिछले कुछ शिक्षा सत्रों में विभाग को कोई बजट नहीं मिला। जबकि इस बार इसके लिए 16.5 करोड़ के प्रस्तावित बजट के विपरीत दो करोड़ रुपये जारी हुए हैं। बजट कम होने के कारण एससी, एसटी वर्ग की कम आय वाली छात्राओं को ही साइकिल दी जाएगी। – आरके कुंवर, निदेशक माध्यमिक शिक्षा, उत्तराखंड