सरकार गठन के बाद रावत सरकार को उच्च न्यायलय से आज पहला बड़ा झटका लगा है। बद्री केदार मंदिर समिति को भंग करने के मामले कि सुनवाई के दौरान आज उच्च न्यायलय ने सरकार से मंगलवार तक बद्री केदार मंदिर समिति को भंग किये जाने को लेकर जवाब तलब किया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने मंगलवार तक बद्री केदार मंदिर समिति की नयी कमेटी के गठन पर रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि बद्री केदार मंदिर समिति के सदस्य दिवाकर चमोली और दिनकर बाबुलकर ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायलय में याचिका दायर की थी।
जिसकी सुनवाई के दौरान उच्च न्यायलय ने यह फैसला सुनाया है। बद्री- केदार मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि बीजेपी नैतिकता की बात कर रही है, क्या उनको उस वक्त की याद नहीं है जब 2012 के कांग्रेस शासनकाल के दौरान उनके लोग संवैधानिक पदों पर आसीन थे। सरकार बनने के बाद बीजेपी प्रवक्ता विनय गोयल ने कहा था कि कांग्रेसियों को नैतिकता के आधार पर सवैंधानिक पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योकिं जनता ने उनकी भ्रष्ट्र सरकार को नकार दिया है।