पहाड़ में बाघ का आतंक खत्म होने का नाम ही नही ले रहा है। इसी का ताजा उदहारण कोटद्वार जिले से आया है।सनेह क्षेत्र के नाथूपुर गांव में सोमवार 10 अप्रैल की शाम को पांच वर्षीय बच्चे पर हमला करने वाला गुलदार वन विभाग के पिंजरे में कैद हो गया।
बृहस्पतिवार देर शाम करीब साढ़े सात बजे उस समय लोगों ने चैन की सांस ली, जब अचानक अंधेरे में गुलदार पिंजरे के अंदर फंसकर बाहर निकलने के लिए दहाड़ मारने लगा। समाजसेवी महानंद ध्यानी ने बताया कि पिंजरे की तरफ से आ रही दहाड़ की आवाज सुनकर पहले तो लोग डर गए, वे दबे कदमों से पिंजरे के करीब पहुंचे, उन्होंने गुलदार को पिंजरे में फंसा देख इसकी सूचना वन विभाग को दी।
नजदीक ही गश्त कर रही वन विभाग की टीम ने गुलदार वाले पिंजरे को अपने कब्जे में ले लिया। रेंज अधिकारी एसपी कंडवाल ने बताया कि गुलदार को सनेह चौकी में ले जाया गया है। शुक्रवार सुबह उसकी डाक्टरी जांच काराने के बाद उसे दूर जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
उधर, जौलीग्रांट स्थित हिमालयन अस्पताल में भर्ती गुलदार के हमले में घायल दिपांशु की हालत में सुधार आ रहा है। बृहस्पतिवार को लैंसडौन वन प्रभाग की ओर से रेंजर दिलीप सिंह डोगरा को बच्चे की कुशल क्षेम जानने के लिए अस्पताल भेजा गया। डोगरा ने बच्चे के परिजनों को मुआवजे में मिलने वाले 50 हजार की धनराशि में से 30 फीसदी धनराशि 15 हजार रुपये दिए। रेंजर डोगरा बताया कि दिपांशु की हालत अब सामान्य है। वह बिस्तर पर बैठने लग गया है। वह अपनी माता के साथ बिस्तर पर बैठकर खेलता हुआ दिखाई दिया। शीघ्र उसके अपने घर आने की उम्मीद है।