आज जब देश में आतंकी घटनाएं कभी भी और कहीं भी हो सकती हैं। ऐसे में जिन पुलिस वालों के कंधो पर ऐसी घटनाओं से निपटने का दामोमदार होता है वे उस समय बेबस नजर आते हैं। इसकी कमी यूं तो गाये बगाये पुलिस प्रशासन को महसूस होती ही है लेकिन हाल ही में इसकी कमी तब महसूस हुई जब आईएमए देहरादून में मौक ड्रिल के दौरान आंतकी होने की सूचना देहरादून पुलिस को दी गई। जिसके बाद पुलिस द्वारा जो ऑपरेशन चलाया गया, उसमें पुलिस सहित दो जवान शहीद हो जाते है जबकि चार आतंकवादियों को मार गिराया जाता है। मगर इन सब के बीच आला अधिकारियों से लेकर पुलिस जवान तक जिन दो चीजों की सबसे अधिक कमी महसूस की गई वो थी एक बुलेटप्रूफ जैकेट औऱ दूसरी एके-47 राइफल । किसी भी आतंकी ऑपरेशन के दौरान आतंकवादियों के आधुनिक हथियारों से निपटने के लिए प्रदेश की पुलिस बल के पास जो हथियार है, वे मुकाबलन उतने अत्याधुनिक नहीं है जितने की होने चाहिए। इसके साथ ही पुलिस जवानों की रक्षा के लिए बुलेटप्रुफ जैकेट की भी कमी अक्सर देखी जाती है। इस कमी को लेकर जब हमने पुलिस महानिर्देशक एम ए गणपति से बात कि तो उन्होनें बताया कि आतंकवादियों से लड़ने के लिए एटीएस को कमान सौंपी जाती है। लेकिन जब उनसे जवानों को एके-47 औऱ बुलेटप्रुफ जैकेट देने की बात पूछी गई तो उन्होनें इन चीजों की पर्याप्त व्यवस्था होने की बात कही। लेकिन कई जवान दबी जुबां कुछ और कह रहे हैं।