नैनीताल: हाईकोर्ट के पूर्व आदेशों के क्रम में केन्द्र सरकार की ओर से अश्लीलता फैलाने वाले 827 साइटों को बंद करने के निर्देश दिये हैं, इस संबंध में केन्द्र सरकार की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गयी। केंद्र की ओर से जवाब दाखिल कर कहा गया है कि भारत सरकार की ओर से इस संबंध में एक पत्र 17 अक्टूबर 2018 को दूरसंचार विभाग को लिखा गया था। जिसमें सभी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को अश्लीलता फैलाने वाली साइटों को अवरूद्ध करने को कहा गया था।
केंद्र की ओर से यह भी कहा गया कि दूरसंचार विभाग की ओर से गत 22 अक्टूबर को इस संबंध में एक आदेश जारी कर दिया गया है। इसमें अश्लीलता परोसने वाले उन सभी 827 वेबसाइटों व यूआरएल को अवरूद्ध करने को कहा गया है। बता दें कि हाईकोर्ट ने 27 सितंबर को केंद्र सरकार इस संबंध में आदेश पारित किए थे जिसके अनुपालन में यह कार्य किया गया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार देहरादून के एक स्कूल में 16 वर्ष की नाबालिग के यौन शोषण के मामले की सुनवाई के बाद केन्द्र सरकार को आदेश जारी किये थे। कोर्ट ने समाचार पत्रों में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था। याचिका में कहा था कि यौन शोषण में शामिल युवकों ने पहले अश्लील साइट पर उत्तेजनात्मक व आपत्तिजनक फिल्म देखी और उसके बाद अपने ही स्कूल की नाबालिग छात्रा के साथ सामूहिक रूप से यौन शोषण किया। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केन्द्र को निर्देश दिया था कि जो इंटरनेट लाइसेंसधारक जुलाई 2015 में जारी अधिसूचना का पालन नहीं करते हैं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए। उनके लाइसेंस निरस्त किये जाएं। केन्द्र सरकार की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि सरकार की ओर से आनलाइन साइबर अपराध पर नियंत्रण के लिये एक पोर्टल लाॅच किया गया है। कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को भी निर्देश दिया कि www.cybercrime.gov.in का मीडिया के माध्यम से प्रदेश में उचित प्रचार प्रसार किया जाए। कोर्ट ने इस प्रकरण पर अगली सुनवाई के लिए 26 नवंबर की तिथि नियत की।