अल्मोड़ा: उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में 9 अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्र में होने वाली रामलीला की तैयारी जोरों पर चल रही है। यहां की रामलीला की एक अलग ही पहचान है जिसको कुमाऊंनी भाषा में गाया जाता है।
अल्मोड़ा में रामलीला भैरवी, ठुमरी, विहाग, पीलू, सहित अनेक रागों के साथ की जाती है। जिसमें जेवन्ती और राधेश्याम प्रमुख संवाद गाए जाते है। रागों में रामलीला गाना बहुत कठिन होता है। जिसके लिए यहां अभिनय करने वालों को पिछले 2 महीने से इस रामलीला की तालिम दी जा रही है। अल्मोड़ा में नन्दा देवी, कर्नाटक खोला, धारानोला, हुक्का क्लब, सरकार की आली, खतियाडी, चितई, एनटीडी सहित दर्जनों स्थानों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है। समय के साथ-साथ मीडियाकरण के कारण आज इसका स्वरूप कम होने के कारण भी अल्मोडा में हिन्दू मुसलिम सहित सभी धर्म के लोग इस रामलीला का आयोजन मिलजुल कर करते है। अल्मोड़ा में 9 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक रामलीला का आयोजन किया जाएगा।
बता दें कि अल्मोड़ा में रामलीला का आयोजन पिछले 80 वर्षों से चलता आ रहा है। जानकारों के मुताबिक 1830 में मुरादाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा रामलीला का आयोजन किया गया। और अल्मोड़ा में 1860 में रामलीला का आयोजन शुरू हुआ। जो कि लगातार अभी तक रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। रामलीला देखने के लिए आज भी बड़ी संख्या में लोग रामलीला स्थल पर पहुंचते है।
यहां के कलाकारों का कहना है कि हम पिछले 20 वर्षों से रामलीला में कई अभिनय कर चुके है यहां की रामलीला कई रागों पर आधारित है। कलाकारों का मानना है कि आधुनिक की दौड़ में धार्मिक रामलीला की ओर ध्यान कम होता जा रहा है। जिस कारण रामलीला जैसी कई धार्मिक की ओर लोगों का रूझान कम होता जा रहा है। जो कि आज इसके अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।
अल्मोड़ा रामलीला कमेटी के अध्यक्ष का कहना है कि पिछले 80 वर्षों से यहां पर रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। अल्मोड़ा की रामलीला का अपना एक अलग ही महत्व है जिसमें भैरवी, पीलू, ठुमरी, विहाग, राधेश्याम जैसी कई रागों और कुमाऊंनी भाषा में रामलीला की जाती है। जिसके लिए यहां पर रामलीला के शुरू होने से 2 महीने पहले यहां के कलाकारों को रामलीला की तालिम दी जाती है। उन्होंने बताया कि 9 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक अल्मोड़ा के कई स्थानों में रामलीला का आयोजन किया जाएगा।