पिथौरागढ़: एवरेस्ट यानि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी। जिसका नाम आते ही अच्छे-अच्छे पवर्तारोही भी घबरा जाते हैं। कुछ को इस चोटी पर चढ़ना असंभव लगता है। कुछ ऐसे भी हुए, जो इसे पतह करने तो गए, लेकिन आधे रास्ते से वापस लौट आए। कुछ ने अपनी जान तक गंवा दी। एवरेस्ट का नाम आते ही मन दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के रहस्यों में खो जाता है। तरह-तरह के ख्याल मन में आते हैं, लेकिन दुनिया में एक ऐसा व्यक्ति भी है, जिसके लिए एवरेस्ट चढ़ना किसी खेल की तरह है। उन्होंने अपने मजबूत कदमों और फौलादी साहस से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को सात बार फतह कर दिया। जिस चोटी की कल्पना मात्र ही कंपा देती है। उस चोटी को अपने कदमों से नापने की महाराथ हासिल की है देवभूमि उत्तराखंड के लवराज धर्मशक्तू ने। वे भारत के अकेले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने हौसलों और साहस से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को सात-सात बार जीतकर बौना साबित कर दिया।
पिथौरागढ़ ज़िले के मूल निवासी पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तू ने विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर एवरेस्ट पर सातवीं बार तिरंगा फहराकर इतिहास रच डाला है। लवराज ऐसा करने वाले देश के पहले व्यक्ति बन गए हैं। लवराज की सफलता से उनके गृह जनपद समेत पूरे उत्तराखंड में जोरदार उत्साह का माहौल है।
बीएसएफ में सहायक सेनानी के पद पर कार्यरत पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तू मुनस्यारी तहसील के बोना गाँव के निवासी हैं। लवराज सिंह के नेतृत्व वाली 25 सदस्यीय बीएसएफ की टीम को खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने 20 मार्च 2018 को नई दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इस टीम को दो हिस्सों में बांटा गया, जिसमें से एक हिस्से ने रविवार को, एक टीम ने सोमवार को एवरेस्ट फतह किया। लवराज फ़िलहाल अपनी टीम के साथ एवरेस्ट के बेस केम्प में मौजूद हैं। एवरेस्ट मिशन पर निकली ये टीम ‘क्लीन ऐंड, सेव ग्लेशियर’ कैंपेन के तहत वहाँ स्वच्छता अभियान चलायेगी और चोटी से कूड़ा-कचरा साथ लाएगी।
बता दें कि, लवराज ने इससे पहले 1998, 2005, 2009, 2012 ,2013 और 2017 में एवरेस्ट फतह की थी। इन उपलब्धि के लिए लवराज को 2003 में तेनसिंह नोर्ग नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड और 2014 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा चुका है।