नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार जोरों पर है तो इस दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला भी चर्चा में है। कई बड़े नेताओं के खिलाफ आचार संहिता के उल्लघंन की शिकायत की गई है। दूसरी तरफ, चुनाव आयोग पर निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने का दबाव भी है। इस बीच कई पूर्व नौकरशाहों ने चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर चिंता जाहिर की है और उन्होंने देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।
आचार संहिता के पालन के मामले में 66 पूर्व नौकरशाहों ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। इस पत्र में कई बातों का जिक्र किया है जिनमें ‘मिशन शक्ति’ की सफलता के बाद पीएम मोदी का देश के नाम संदेश भी शामिल है। पूर्व नौकरशाहों ने पीएम नरेंद्र मोदी की बायोपिक का मुद्दा भी उठाया है। उन्होंने पीएम मोदी की बायोपिक को लेकर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान की तारीख (11 अप्रैल) को आ रही इस बायोपिक पर चुनाव आयोग ने आपत्ति क्यों नहीं जताई।
इन पांच पन्नों के पत्र में कहा गया है कि यह एक राजनैतिक व्यक्ति (और उसकी पार्टी) के लिए मुफ्त प्रचार करने के लिए पिछले दरवाजे से किया जा रहा प्रयास मालूम पड़ता है। पूर्व नौकरशाहों ने 10-भाग वाली वेब सीरिज ‘मोदी: ए कॉमन मैन्स जर्नी’ और नमो टीवी के लॉन्च पर भी चिंता जताई है।
जबकि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘मोदी की सेना’ वाले बयान पर कोई बड़ी कार्रवाई ना करने पर भी सवाल उठाए गए हैं। इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति को पत्र लिखने वालों में पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन, दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग, पंजाब के पूर्व डीजीपी जुलियो रिबेरो और ट्राई के पूर्व चेयरमैन राजीव खुल्लर का नाम शामिल है।