देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को सचिवालय स्थित सभागार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिये प्रभावी पहल के लिये प्रदेश के 46 चिकित्सा इकाइयों को वर्ष 2018-19 का कायाकल्प पुरस्कार प्रदान किया। इसके तहत श्रेणी ए में जिला चिकित्सालय को प्रथम पुरस्कार के रूप में 50 लाख, सांत्वना पुरस्कार 03 लाख, श्रेणी बी में उप जिला चिकित्सालयों को 15 लाख, द्वितीय पुरस्कार 10 लाख, सांत्वना पुरस्कार एक लाख, जबकि सी श्रेणी में प्रत्येक जनपद के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को 02 लाख का प्रथम पुरस्कार तथा 50 हजार का सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। चेनराय जिला महिला चिकित्सालय हरिद्वार को 50 लाख का प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि यह पुरस्कार अस्पतालों को ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के कायाकल्प के लिये भी पुरस्कार है। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार अन्य अस्पतालों को भी प्रेरित करने में मददगार होंगे। उन्होंने अस्पतालों से इस दिशा में और बेहतर प्रयास करने को कहा। यह स्वास्थ्य सेवाओं को जनोपयोगी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल भी है। उन्होंने कहा कि इस योजना में पिछले चार वर्षों में 15 गुना वृद्धि हुई है। जहां 2015-16 में इसमें 03 अस्पताल, 2016-17 में 11, 2017-18 में 16 तथा 2018-19़ में यह संख्या 46 पहुंच गई है। उन्होंने इसमें और अधिक प्रयासों की भी जरूरत बताई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य का क्षेत्र हमारी प्राथमिकता है स्वास्थ्य कर्मी इसमें सबसे ज्यादा मददगार होते हैं। उन्होंने अस्पतालों का वातावरण बेहतर बनाने पर भी बल दिया। उन्होंने चिकित्सकों से भी जनता के विश्वास को बनाये रखने की अपेक्षा करते हुए कहा कि अच्छा व्यवहार भी बीमारी को दूर करने में मददगार होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न अस्पतालों में स्थापित होने वाले आईसीयू तथा डायलिसस केन्द्रों की स्थापना के लिये पर्याप्त स्वास्थ्य कर्मियों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। उन्होंने आयुष्मान भारत-अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना में आ रही कठिनाइयों का तत्परता से निराकरण सुनिश्चत करने के भी निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होने से लोगों को देहरादून कम से कम आना पड़े यह भी देखा जाय। उन्होंने स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये स्वस्थ वातावरण भी जरूरी बताया है। उन्होंने प्रदेश के एक ब्लाक को प्रयोग के तौर पर कन्ट्रेक्ट फ्री करने के लिये आवश्यक व्यवस्थाये सुनिश्चित करने के साथ शिशु मृत्यु दर को 2020 तक 100 से नीचे लाने के प्रयासों पर बल दिया।