नई दिल्ली: असम में पिछले 29 साल से लागू आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पॉवर एक्ट (AFSPA ) को केंद्र सरकार ने राज्य से हटाने पर फैसला किया है। इस साल अगस्त में इस कानून को पूरी तरह से हटा लिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने असम से सैनिकों की वापसी के आदेश भी दे दिए हैं। ऐसे में केंद्र सरकार के इस फैसले की वजह से असम को बड़ी राहत मिलने वाली है। असम में अफ्सपा को 27 नवंबर 1990 को लागू किया गया था।
असम में कब लागू हुआ था अफ्सपा?
असम में जिस समय अफ्सपा को लागू किया गया उस समय राज्य में उल्फा उग्रवाद अपने चरम पर था और पूरे स्टेट को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया गया और AFSPA को लागू कर दिया गया। अफ्सपा के तहत सुरक्षा बलों को कुछ विशेष अधिकार मिलते हैं। हालांकि असम के कई जिले ऐसे हैं जहां पर स्थिति सुधरने के बाद इसको हटा भी गया है। पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्ट ने सेना की जगह ले ली।
इन राज्यों में भी लगा था अफ्सपा
पिछले साल केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को यह अधिकार दिया कि वो जब चाहे अफ्सपा को घटा या बढ़ा सकती है। इसके बाद राज्य सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) का हवाला देते हुए कानून को आगे भी बढ़ाया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद असम में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू हुई थी। बता दें कि शुरू में यह पूर्वोत्तर और पंजाब के उन इलाकों में लगाया गया था जिनको, अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था। हालांकि बाद में बाकी जगहों से हटा लिया गया था लेकि असम में लगा हुआ था।
क्या है अफ्सपा?
इस कानून ने सुरक्षा बलों को कई खास अधिकार दिए हैं। इस कानून को साल 1958 में संसद में पारित किया गया था। इसके बाद 11 सितंबर 1958 को यह पहली बार लागू हुआ था। इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को यह अधिकार मिला हुआ है कि अगर कोई कानूनन के खिलाफ काम करता है तो एक सैनिक उस व्यक्ति पर गोली चला सकता है या फिर शारीरिक बल का इस्तेमाल कर सकता है। इसके अलावा जहां हथियार रखे गए हों उन जगहों को सुरक्षा बल के जवान तबाह कर सकते हैं। साथ-साथ आतंकियों के अड्डे और प्रशिक्षण शिविरों को भी बर्बाद कर सकते हैं। इसके अलावा और भी ऐसे कई अधिकार मिलते हैं जिससे उस इलाके में शांति बहाल करने की कोशिश की जा सकती है।