यशवंत सिन्हा के सवालों के बाद पीयूष गोयल आये सरकार के बचाव में…

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मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर वार करने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने अपने लेख में वित्त मंत्री अरुण जेटली पर करारा हमला बोलते हुए उनपर अर्थव्यवस्था को बिगड़ने का आरोप लगाया था। सिन्हा के इस हमले के बाद केंद्र सरकार सवालों के घेरे में आ गयी है ।

वहीं पार्टी ने सिन्हा के विचारों के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है, लेकिन केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि भारत पिछले तीन सालों में मोदी सरकार के तहत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है। पूरे देश और विश्व ने यह देखा है कि प्रधान मंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व के तहत, भारत इन तीन वर्षों से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है।

दरअसल, सूत्रों की माने तो बीजेपी नेतृत्व ने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को सरकार की आर्थिक नीति का बचाव करने के लिए वक्तव्य जारी करने के लिये कहा था और अन्य लोगों को इस मामले में टिप्पणी न करने की हिदायत भी दी है।

गोयल ने बयान जारी करते हुए कहा है कि “यदि आप देखे तो, सरकार देश में कई महत्वपूर्ण सुधार लाई है जो अभूतपूर्व हैं – जैसे जीएसटी, जो भारत जैसे आकार और स्केल वाले देश में लागु होना कल्पना के भी परे है। वास्तव में, हम जीएसटी लागू करने वाले दुनिया के सबसे बड़े देश हैं। साथ ही गाेयल ने कहा कि गरीबों की सेवा करने का दृढ़ उद्देश्य के साथ आई केंद्र सरकार के हर कदम में गरीबों का ख्याल रखा जाता है।

वही गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सिन्हा द्वारा सरकार की नीति पर उठाये गए सवालों के बारे में कहा कि पूरा विश्व मानता है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। किसी को भी इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए। अर्थव्यवस्था के मामले में, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में, अपनी विश्वसनीयता स्थापित की है।

मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर पिता यशवंत सिंह के लेख का जवाब देते हुए उनके बेटे और नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने भी एक लेख लिखते हुए अपने पिता की राय से असहमति जाहिर की है और मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का जमकर बचाव किया है। अपने लेख में उन्होंने लिखा है कि वर्तमान अर्थनीति नए भारत के निर्माण की दिशा में उठाया गया कदम है। पारदर्शी, प्रतियोगी और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के लिए बदलाव हो रहे हैं। एक या दो तिमाही के नतीजों से अर्थव्यस्था का आकलन ठीक नहीं।

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