देहरादून – प्रदेश में भ्रष्ट्राचार की पटकथा के पन्नों को और समृध बनाते हुए पिटकुल में ट्रांसफार्मर घोटाला की एक बेहतरीन स्किप्ट लिखी गई। यूं तो इस स्किप्ट की चर्चा पिछली सरकार में भी हुई थी लेकिन चर्चा शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई । दरअसल देहरादून के पिटकुल में 24 करोड़ के ट्रांसफार्मर घोटाले में जब 5 अधिकारियों को नापा गया तो मामले की परते अपने अपने आप खुलती चली गई। जिसके बाद मालूम चला कि कि भारी अनियमित्ताओं के बाद भी बेधडल्ले से ट्रांसफार्मरों की खरीद की गई है।
घोटाले की इस कहानी की शुरुआत 25/3/2014 से हुई । पिटकुल द्वारा मुंबई की एक कंपनी मैसर्स आईएमपी पावर लिमिटेड से ट्रांसफार्मर खरीदने का है और ट्रांसफार्मर जब खरीदे गए तो अधिशासी अभियंता बीएस पांगती ने ट्रांसफार्मर के निरीक्षण के दौरान 10/7/2014 ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता को लेकर उच्च अधिकारियों को लेटर लिखा। पत्र में ट्रांसफार्मरों को मानको के अनुरूप न बताते हुए उन्होनं सवाल उठाये कि
सवाल- 1
निविदा से पहले ही कंपनी ने आखिर कैसे ट्रांसफार्मर बनाए और उनकी गुणवत्ता भी जांच ली गई।
सवाल- 2
पिटकुल द्वारा 7/4/2014 को मैसर्स आईएमपी कंपनी के साथ अनुबंध किया तो कैसे पिटकुल द्वारा ही 25/3/2014 को मैसर्स आईएमपी कंपनी को LOA दिया गया और 25/3/2014 को ही एमडी यूपीसीएल द्वारा ही अपरुवल भी दे दिया गया।
सवाल-3
जब पिटकुल द्वारा 1/4/2014 को कंपनी को डिस्पेच इन्स्ट्रकशन जारी किए तो फिर कैसे कंपनी ने 2/4/2014 को ही ये कह दिया कि उनके पास ट्रांसफार्मर तैयार है।
इन सभी सवालों के बीच ट्रांसफार्मर में गुणवत्ता की जिस कमी को बार बार दोहराया जा रहा है वो कुछ इस प्रकार है
- ट्रांसफार्मरों में ऑन-ऑफ बटन होना चाहिए था। जोकि मौजूद नहीं था।
- सेल टैक्स और एक्साइज़ डयूटी भी बिल में एक लाख 39 हज़ार 500 शामिल थी, जो कि नहीं होनी चाहिए थी। वहीं कंपनी ने भी माना, कि उनसे भूल हुई है और जो एक्साइज़ डयूटी नहीं लगनी चाहिए थी वो हटा दी गई।
- इस टेंडर के अनुसार बिजली लोसेस 68 किलोवाट होना था लेकिन वो 469 था।
- टेंडर के अनुसार ट्रांसफार्मरों में 16511लीटर तेल लगना था, जोकि 20 प्रतिशत अधिक तेल लगने से नुकसानदायक है और साथ ही साथ उसमें लीकेज की समस्या भी थी।
ये तमाम वो तथ्य है जिनको लेकर बीएस पांगती ने सवाल उठाते हुए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा था। जिसके बाद अब इस घोटाले में ऊर्जा कामगार संगठन भी खुलकर सामने आ गया है। संगठन इस बात का दावा कर रहा है कि अगर घोटाले की जड़ तक जाया जाए तो कई अधिकारियों का बेनकाब होना तय है।
अब ये तो साफ है भ्रष्ट्राचार पर जिरो टॉलरेंस की बात करने वाली त्रिवेंद्र सरकार इस पर जल्दी कोई सख्त कदम उठा सकती है। इस लिहाज से अगर देखा जाए तो अब कई अधिकारियों को ट्रांसफार्मर के झटके सहने पड़ सकते हैं। अब बस इंतजार है तो सरकार के सख्त फैसले का और सफेदपोशो के बेनकाब होने का । जिसकी उम्मीद जनता इस सरकार से लगाई बैठी है।