पिथौरागढ़: 16 जून 2013 को कुदरत ने केदारनाथ धाम में जो तांडव मचाया था उसे लोग आज तक भूल नहीं पाए हैं। 16 जून को आई केदारनाथ आपदा ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस जल-प्रलय से लोगों के दिलों में आज भी खौफ है। वहीं कुमाऊं का सीमान्त जिला मुख्यालय धारचूला और मुनस्यारी के लोग इस काली रात को याद करते ही सिहर उठते हैं।
इस आपदा से धारचूला और मुनस्यारी में कई घर जमींदोज हो गए और लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की तलाश में भटकते रहे। धारचूला से लगी नेपाल की सीमा पर कई जगह भूस्खलन से कई मकान और संचित भूमि काली नदी में समां गई। साथ ही जौलजीबी में भारत और नेपाल को जोड़ने वाला पुल भी टूट गया था। इस त्रासदी में जिले की धारचूला और मुनस्यारी तहसील की चारों घाटियों में भयानक तबाही मची थी, जिसमें करीब 28 लोग आपदा की भेंट चढ़ गए और 659 मकान पानी और मलबे में बिखर गए थे। इसके अलावा तीन बस्तियां सोबला, न्यू और कंच्योती का नामोनिशान मिट गया। धारचूला और मुनस्यारी के करीब 131 गांव और बस्तियां आपदा की चपेट में आ गये। वहीं मुनस्यारी तहसील के कई मार्ग नदी नालों में बह गए थे, जिससे लोगों को कई दिनों तक कोई सुविधा नहीं पहुंच पाई। वहीं आज भी हल्की सी बारिश होने पर लोगों की आंखों में खौफ साफ देखा जा सकता है।