देहरादून: विधानसभा सत्र के तीसरे दिन कांग्रेस के तेवर सीएम कार्यालय में भ्रष्टाचार को लेकर काफी तल्ख रहे। सदन शुरू होते ही कांग्रेस ने समस्त नियमों का निलंबन करते हुए सीएम के करीबियों पर लेनदेन का आरोप लगाया और इस पर चर्चा की मांग की। संसदीय कार्यमंत्री के इस मामले के कोर्ट में होने पर चर्चा नहीं कराई जाने के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने हंगामा जारी रखा और संबंधित स्टींग के पेन ड्राइव को भी दिखाया। विधायकों के हंगामे के बीच पंचायती राज संशोधित विधेयक सदन में पेश करने के बाद पारित कर दिया गया। साथ ही सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
कांग्रेस विधायकों के हंगामे के बीच पंचायती राज संशोधित विधेयक सदन में पेश किया गया। संसदीय कार्यमंत्री मैदान कौशिक ने कहा कि अब पंचायत चुनाव में केवल दो बच्चों वालों को ही लड़ने का मिलेगा मौका मिलेगा। साथ ही आवेदक की न्यूनतम शेक्षिक योग्यता भी तय कर दी गई है। सामान्य वर्ग के लिए दसवीं और महिला एससी, एसटी के लिए आठवीं पास होना अनिवार्य है। राज्यपाल की मंज़ूरी मिलते ही विधेयक तत्काल लागू हो जाएगा। इसके बाद आने वाले पंचायत चुनाव संशोधित विधेयक के आधार पर ही होंगे।
सदन शुरू होते ही कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के करीबियों के बीच लेनदेन के वीडियो का मसला उठाते हुए इस पर अविलंब चर्चा की मांग की। इस पर संसदीय कार्यमंत्री मैदान कौशिक ने जबाव दिया कि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है और ऐसे में इस पर चर्चा नही हो सकती। इसके बावजूद कांग्रेस लगातार चर्चा की मांग पर अड़ी रही। अपनी मांग के समर्थन में उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने लेनदेन से संबंधित पेन ड्राइव भी दिखाए। साथ ही कहा कि सदन में इसकी वीडियो दी जा चुकी है। संसदीय कार्यमंत्री ने मदन कौशिक कहा कि सदन नियमों से ही चलेगा। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि यह मामला दूसरा है और न्यायालय में विचाराधीन नहीं है। यह सीएम के करीबियों का स्टिंग है।
गतिरोध बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि मामला अगर कोर्ट में है तो चर्चा संभव नहीं। इस पर कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने कहा कि इस मामले में पीठ को गुमराह किया जा रहा है। मुख्यमंत्री का नाम आने से यह मामला और गंभीर हो जाता है। इसलिए इस पर चर्चा जरूरी है। इस मुद्दे पर सात पक्ष व विपक्ष के सदस्यों के बीच चल रही नोक झोंक चलती रही। इस दौरान कांग्रेस विधायक बेल पर पहुंचकर नारेबाजी करते रहे। कांग्रेस के हंगामे के दौरान पंचायती राज संशोधित विधेयक सदन में पेश किया गया। जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। साथ ही सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।