संवाददाता -(हरीश शर्मा)
देहरादून: देहरादून जिला प्रशासन का बड़ा गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है। दरअसल, राजधानी दून के एक निजी अस्पताल में 1 महीने से लावारिस पड़े जुड़वा नवजात बच्चों का अभी तक अंतिम संस्कार नहीं कराया गया है।
वहीं मामले को लेकर बाल संरक्षण आयोग की टीम देहरादून निजी अस्पताल पहुंची। इस दौरान टीम ने अस्पताल के शव विच्छेदन गृह का निरीक्षण किया जिसमें आयोग ने जुड़वा नवजात शिशु के शवों के बारे में अस्पताल प्रशासन से जानकारी मांगी। वहीं मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन ने आयोग को जानकारी दी कि उनके द्वारा पिछले 1 महीने से प्रशासन से बच्चों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए अनुमति मांगी जा रही है लेकिन प्रशासन की ओर से अभीतक इस मामले में कोई अनुमति नहीं दी गई है।
अस्पताल प्रशासन ने आयोग की टीम को जानकारी दी कि 12 अक्टूबर को अस्पताल में एक गर्भवती महिला भर्ती हुई थी। जिसमें उसने 22 अक्टूबर को दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। उन्होंने बताया कि जन्म लेने के बाद दोनों बच्चों की मौत हो गई थी। हालांकि बच्चों की मौत के बाद महिला डिस्चार्ज हो कर चली गई थी।
वहीं जब मामले को लेकर बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी से बात की गई तो उन्होंने हैलो उत्तराखण्ड न्यूज को जानकारी देते हुए बताया कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 1 माह से नवजात बच्चों के शव मोर्चरी में रखे हुए हैं लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से इस ओर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि टीम द्वारा अस्पताल को मानवता के आधार पर बच्चों का अंतिंम संस्कार करने की अनुमति बाल आयोग की तरफ से दे दी गई है।