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देहरादूनः करीब 2:33 बजे फ़ोन में एक मैसेज़ आता है, जिसे देख थानेश्वर प्रसाद की आंखों से आंसू छलक उठे और दिल में भरी एक तमन्ना पूरी होती हुई नज़र आती है। जी हाँ हम आपको एक ऐसे मैसेज़ और एक ऐसी कहानी से रूबरू करवाते हैं जिसे देख किसी भी इंसान की आँखों में पानी और दिल से मदद के लिए उठे हाथों के लिए दुआ निकल आये।
यह कहानी है उसी थानेश्वर प्रसाद बंगवाल की जो पिछले डेढ़ सालों से अपनी पेंशन न आने पर परेशान थे, आज जब उनके फ़ोन में पेंशन आने का मैसेज़ आया तो वो ख़ुशी से फूले नहीं समाये। मन में एक दम ख्याल आया कि अब बस उनकी सभी आर्थिक मामलों से जुडी समस्याएं दूर हो जायेंगीं। और पत्नी का अब ढंग से इलाज़ करवाऊंगा। बेटी को आगे पढ़ाउंगा।
ये वही थानेश्वर प्रसाद हैं जो देवप्रयाग नैनी गाँव के निवासी हैं, जो डेढ़ साल पहले नौकरी से सेवा-निवृत्ति हो चुके थे लेकिन उनको पेंशन नहीं दी जा रही थी जिसके कारण न तो उनके घर में खाने को पर्याप्त अनाज था और ना ही बीमार पत्नी के इलाज़ को पैसा।
उनकी पत्नी का कहना है कि हम बेहद खुश हैं, पिछले डेढ़ साल से परेशान होकर और पेंशन न मिलने पर जहन में था कि पति थानेश्वर ने सरकारी नौकरी की भी है कि नही? लेकिन अब पेंशन मिलने पर मैं बहुत खुश हूं।