रुद्रप्रयाग: सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक माहौल बनाने को लेकर सरकारी दावे चाहे जो भी हो मगर शिक्षकों के अभाव में शैक्षणिक व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं है। जनपद के अति दूरस्त क्षेत्र सिलगढ पट्टी के सिद्वसौड राजकीय इण्टर कालेज में शैक्षिणिक सत्र के 6 माह बीत जाने के बाद भी अभी तक इण्टरमीडिएट में जीव विज्ञान की किताब का पहला पन्ना तक नहीं खुल पाया है, और स्कूल को आर्दश स्कूल का दर्जा दिया गया है।
456 छात्र संख्या वाले आदर्श राजकीय इण्टर कालेज सिद्वसौड में करीब आठ से दस किमी दूर तक के बच्चे पढने के लिए आते हैं। यहां पर विल्डिंग तो बना दी गयी हैं मगर शैक्षणिक व्यवस्था आज तक नहीं सुधर पायी है जिसके चलते विद्यालय का परीक्षाफल भी प्रभावित हो रहा है। यहां प्रवक्ता के तीन पद रिक्त चल रहे हैं और भौतिक व रसायन विज्ञान की लैब एक साथ चल रही है। तो जीव विज्ञान जैसे अहम विषय में अध्यापक न होने से यहां पर अभी तक विषय की किताब का पन्ना तक नहीं खुला है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य का कहना है कि कई विषयों के लिए अध्यापक ही नहीं हैं जिसके चलते स्कूल का परिणाम भी प्रभावित हो रहा है फ़िलहाल टीचर्स की कमी पूरी करने के लिए कुछ गेस्ट टीचर्स विद्यालय में पढ़ा रहे है साथ ही बजट की कामी के चलते लैब भी प्रभावित हो रही है।
वही जनता दरवार के लिए सिद्वसौड पहुचे जनपद के प्रभारी मंत्री याशपाल आर्य ने कहा कि फ़िलहाल उन्हें पता नहीं है की विद्यालय में शिक्षक के पद है या पदों का सर्जन करना है इसलिए जानकारी लेने के बाद प्रस्ताव आगे शासन को भेजा जायेगा।
शिक्षकों की कमी ही आज सरकारी विद्यालयों के प्रति अविभावकों का रुझान नहीं बढ़ पा रहा है। नवम्बर माह में अर्धवार्षिक परीक्षाएं व दिसम्बर माह से बोर्ड परीक्षाओं की प्रयोगात्मक परीक्षाएं शुरु हो जाती हैं, एसे में बच्चों के सामने अब बड़ी चुनौती यह है कि किताबें तो स्वयं या फिर ट्यूशन के जरिये पड लेंगे मगर प्रयोगात्मक परीक्षा को किस तरह पास करेंगें?