जब सत्ता हाथ में थी तो सब एक दूसरे के सुर में सुर मिला रहे थे लेकिन सत्ता हाथ से जाते ही अब सुर अलग अलग होने लगे है…..इंदिरा हृदयेश का हरीश रावत की हार को कांग्रेस के इतिहास का काला दिन कहना बदले सुरों की तस्दीक़ करता है।
हरिद्वार के जयराम आश्रम में पहुँची नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस की हार की समीक्षा तो नही कर पाई लेकिन हरीश रावत की हार को कांग्रेस का कालादिन बता कर ये सिद्ध कर दिया की अब कांग्रेस अपनी हार से ज्यादा हरीश रावत की हार की समीक्षा में जुटी है।